पीएमओ की शिकायत में घोटाले की बात, अधिकारियों ने बिना जांच ही क्लोज कर दी फाइल!
बाराबंकी,संवाददाता : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लालकिले से शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना को ग्रामीण भारत की रेखा बदलने वाला कदम माना गया था, लेकिन जनपद बाराबंकी में यह योजना भ्रष्टाचार की नदियों में बहती नज़र आ रही है।शिकायतकर्ता मनीष मेहरोत्रा ने पीएमओ को भेजे शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि बिना किसी स्थलीय जांच के ही उनकी शिकायत को संतोषजनक निस्तारण का तमगा दे दिया गया।
शिकायत की गई, संज्ञान लिया गया, लेकिन जांच गायब!
मनीष मेहरोत्रा के अनुसार, उन्होंने 16 जून 2025 को जल जीवन मिशन योजना में ठेकेदारों और अफसरों की मिलीभगत से हो रहे भ्रष्टाचार और लेटलतीफी की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को की थी। 20 जून को पीएमओ ने मामले का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय के संयुक्त सचिव अरविंद मोहन और अधिशासी अभियंता अमित कुमार को प्रकरण सौंपा। लेकिन शिकायतकर्ता का कहना है कि ना तो कोई स्थलीय जांच हुई, ना कोई कागज़ी सवाल, और 19 जुलाई को उनके मोबाइल पर शिकायत ‘片निस्तारित’ होने का संदेश आ गया।
“फर्जी रिपोर्ट बना भेज दी पीएमओ को”
मनीष का दावा है कि अधिशासी अभियंता व संयुक्त सचिव ने झूठी जांच रिपोर्ट तैयार कर पीएमओ को भेज दी, जिससे उनकी शिकायत को बिना तथ्यों की पड़ताल किए बंद कर दिया गया। यह न केवल लोकतंत्र की कार्यशैली पर सवाल उठाता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रधानमंत्री की प्राथमिक योजना तक भी घोटालेबाज़ अफसरों की पहुँच बन चुकी है।
“भ्रष्टाचार की लकीर को मिटाना है या उसे ही योजना बना देना है?”
शिकायतकर्ता ने पत्र में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि पीएमओ से स्वतंत्र जांच अधिकारी बाराबंकी भेजे जाएं, जिससे वह स्थल पर चल रही अनियमितताओं और घोटाले की हकीकत दिखा सकें। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की है कि जिन अफसरों ने बिना जांच के फर्जी रिपोर्ट भेजी, उनके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाए।
जल जीवन मिशन: योजना या अवसर?
2019 में शुरू हुए जल जीवन मिशन का उद्देश्य था 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर तक नल से स्वच्छ जल पहुंचाना। लेकिन बाराबंकी जैसी जगहों पर यह योजना फाइलों में खत्म, और फील्ड में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है।