बिना स्वीकृति पाठ्यक्रम को लेकर छात्र-छात्राओं और एबीवीपी का विरोध, लाठीचार्ज में कई घायल
बाराबंकी,संवाददाता : श्रीराम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में सोमवार को मान्यता विहीन पाठ्यक्रम संचालित किए जाने का मामला गरमा गया। सुबह से ही सैकड़ों विद्यार्थी परिसर में इकट्ठा होकर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। बाद में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल हो गए। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने डंडे बरसाए, जिसमें 22 छात्र-छात्राएं चोटिल हो गए। घायलों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया। वहीं देर रात आक्रोशित छात्रों ने जिलाधिकारी आवास पर पुलिस प्रशासन का पुतला दहनकर दिया। इतना ही नहीं, जब डीएम और एसपी घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे तो छात्र वहां पर भी खासा नाराज नजर आये। आज मंगल वार को डीएम एसपी स्वयं मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लेंगे।
विरोध से झड़प तक

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि एलएलबी और बीए एलएलबी कोर्स बार काउंसिल ऑफ इंडिया की स्वीकृति के बिना चलाए जा रहे हैं, जिससे भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, यूनिवर्सिटी के गेट पर धक्का-मुक्की और नारेबाजी तेज हो गई। दोपहर बाद हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। लाठीचार्ज में कई युवाओं के साथ महिला विद्यार्थी भी घायल हुईं।
पुलिस पर भी चला आक्रोश
पुलिस कार्रवाई के दौरान गुस्साए छात्रों ने एक युवक को पकड़कर पीट दिया। मौके पर पहुंची फोर्स ने किसी तरह उसे छुड़ाया। गदिया चौकी पर भी उपद्रवियों ने हमला बोलते हुए तोड़फोड़ और पथराव किया। इस बीच सीओ सिटी हर्षित चौहान सहित कई पुलिसकर्मी चोटिल हुए। भीड़ के निशाने पर आई महिला दारोगा और अन्य सिपाहियों को भी चोटें आईं।
अफसरों पर कार्रवाई
घटना के बाद देर रात शासन ने सख्ती दिखाते हुए सीओ सिटी हर्षित चौहान को हटाकर एसपी ऑफिस से संबद्ध कर दिया। वहीं नगर कोतवाली प्रभारी रामकिशन राणा और चौकी इंचार्ज को पुलिस लाइन भेज दिया गया। प्रकरण की संपूर्ण जांच अयोध्या रेंज के आईजी प्रवीण कुमार को सौंपी गई है।
नेताओं का दौरा और आश्वासन
रात को राज्य मंत्री सतीश चंद्र शर्मा, विधायक दिनेश रावत और भाजपा के कई स्थानीय पदाधिकारी अस्पताल पहुंचे और घायलों का हाल जाना। उन्होंने परिजनों को भरोसा दिलाया कि दोषी पुलिसकर्मियों और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।
कुलसचिव का पक्ष
यूनिवर्सिटी की कुलसचिव प्रो. नीरजा जिंदल ने कहा कि संस्थान पर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। उनके अनुसार बार काउंसिल से 2027 तक की स्वीकृति ली जा चुकी है और फीस भी जमा है। उन्होंने दावा किया कि छात्रों की डिग्री की मान्यता को लेकर किसी भी तरह की समस्या उत्पन्न नहीं होगी।