मदारपुर के प्राथमिक विद्यालय में तालेबंदी कर ग्रामीणों ने जताया आक्रोश, बच्चों को भेजने से किया इनकार
मसौली (बाराबंकी),संवाददाता : प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम होने पर उन्हें पास के स्कूलों में विलय करने के फैसले का ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध शुरू हो गया है। मसौली क्षेत्र के राजस्व ग्राम मदारपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय के अभिभावकों ने सोमवार को अपने बच्चों के विद्यालय को बंद किए जाने के विरोध में जमकर प्रदर्शन किया।
शासन द्वारा 16 जून 2024 को जारी निर्देशों के अनुसार कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को नजदीकी उच्च प्राथमिक या समेकित विद्यालयों में मर्ज किया जा रहा है। इस आदेश के तहत मदारपुर के प्राथमिक विद्यालय में नामांकित 27 बच्चों को मसौली स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में स्थानांतरित किया गया है, जो कि लगभग 500 मीटर दूर है। जब शिक्षक बच्चों को नए विद्यालय ले जाने पहुंचे, तो अभिभावकों ने इसका पुरजोर विरोध किया। उन्होंने विद्यालय गेट पर ताला लगाकर नारेबाजी शुरू कर दी और स्कूल को पूर्व की भांति संचालित रखने की मांग की।
गांव के ननकू, राम खेलावन, रिषभ, गुड़िया, बेबी, धर्मराज, राजकुमार, कांती देवी, पिंकी देवी, सुषमा, ईश्वरदीन, राम सनेही, कैलाश व राजेंद्र कुमार सहित दर्जनों ग्रामीणों ने कहा कि वे अपने बच्चों को दूर के विद्यालय नहीं भेजेंगे। उनका कहना है कि यदि स्कूलों में शिक्षक अधिक हैं तो उनका समायोजन अन्य विद्यालयों में किया जा सकता है, लेकिन बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होनी चाहिए।
शिक्षकों की पूरी टीम कार्यरत, फिर भी विद्यालय बंद करने का आदेश
मदारपुर के प्राथमिक विद्यालय में वर्तमान में प्रधानाध्यापक नसीम जहां, सहायक अध्यापक महेंद्र कुमार, शिक्षामित्र अनीता राव, शैल कुमारी व गायत्री देवी तैनात हैं। अभिभावकों का कहना है कि इतने स्टाफ के बावजूद स्कूल बंद करना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
11 विद्यालयों का विलय, सैकड़ों छात्रों पर असर
मसौली ब्लॉक के 89 प्राथमिक विद्यालयों में से 11 विद्यालयों का विलय किया गया है, जिसमें मदारपुर, गिरधारी पुरवा, सिसवारा, भगेलापुरवा, याकूतगंज, सोहराबाद, कडेरा, जमालपुर आदि शामिल हैं। इस निर्णय से सैकड़ों बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।
बीईओ बोले— शासनादेश का अनुपालन किया जा रहा
खंड शिक्षा अधिकारी जानेंद्र गुप्ता ने स्पष्ट किया कि विद्यालयों के विलय का निर्णय शासन स्तर से लिया गया है और विभाग द्वारा जारी निर्देशों का पालन अनिवार्य है। ग्रामीणों की मांग को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार प्राथमिक शिक्षा को लेकर दोहरा रवैया न अपनाए— एक ओर ‘स्कूल चलो अभियान’ के जरिए बच्चों के नामांकन को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विद्यालयों का विलय कर शिक्षा व्यवस्था को संकट में डाला जा रहा है।