बाराबंकी में 35वीं सालाना मजलिस, मौलाना आबिदी ने दिया अमन और इंसाफ का संदेश

बाराबंकी (नगर),संवाददाता : असद नगर दशहरा बाग स्थित अज़ाखाना हाजी सरवर अली रिज़वी में आयोजित 35वीं सालाना मजलिस में देश-विदेश में प्रसिद्ध इस्लामिक स्कॉलर मौलाना मोहम्मद मिया आबिदी ‘कुम्मी’ ने शिरकत कर इमाम हुसैन (अ.) की कुर्बानी को याद करते हुए अमन, इंसाफ और इंसानियत का पैग़ाम दिया।
कर्बला का पैग़ाम: पूरी इंसानियत के लिए
मौलाना आबिदी ने कहा कि कर्बला कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि सत्य और अन्याय के बीच संघर्ष का प्रतीक है। इमाम हुसैन (अ.) ने अपने 72 साथियों के साथ जान की कुर्बानी देकर न्याय, सच्चाई और मानवता की बुनियाद रखी। उन्होंने कहा कि यदि आज की दुनिया हुसैनी उसूलों को अपनाए, तो नफरत और आतंक की ताक़तें पराजित हो सकती हैं।
6 महीने के अली असगर की शहादत पर रो पड़ी मजलिस
अपने संबोधन में मौलाना ने जब 6 माह के हज़रत अली असगर की शहादत और बीबी सकीना की कैद के दौरान हुई मौत का ज़िक्र किया, तो मजलिस में मौजूद अज़ादारों की आंखें नम हो गईं और पूरा माहौल ग़म में डूब गया।
नौहाख्वानी और सीनाज़नी से गूंजा बाराबंकी
मजलिस के बाद बाराबंकी की अंजुमन गुंचाए अब्बासिया और अयोध्या की अंजुमन गुंचाए मजलूमिया ने नौहाख्वानी व सीनाज़नी कर श्रद्धा और मातम का माहौल और अधिक भावुक कर दिया। बादे मजलिस जुलूस निर्धारित मार्गों से होता हुआ अलबिदाई मजलिस के साथ संपन्न हुआ।
आयोजन में उमड़ा अकीदतमंदों का सैलाब
कार्यक्रम में डॉ. रज़ा मौरानवी, अजमल किंतूरी, डॉ. मुहिब रिज़वी, आरिज़ ज़रगावी, व अन्य अकीदतमंद शामिल रहे। आयोजन समिति के कन्वीनर वरिष्ठ पत्रकार सरवर अली रिजवी, कौसर रिजवी, हसन अब्बास ‘रोशन’ ने समस्त मेहमानों और श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया।