प्रशासन ने अवैध निर्माण किया ध्वस्त, विद्यालय प्रबंधन मौन

( शोभित शुक्ला ) बाराबंकी : श्रीरामस्वरूप यूनिवर्सिटी पर वर्षों से चले आ रहे विवाद ने आखिरकार प्रशासन को कठोर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। शनिवार को भारी पुलिस बल और राजस्व टीम की मौजूदगी में विश्वविद्यालय परिसर में बने अवैध ढांचे को ध्वस्त कर दिया गया।जानकारी के अनुसार, संस्थान ने ग्रामसभा और सरकारी जमीन पर लंबे समय से कब्जा कर रखा था। ग्राम प्रधान और स्थानीय लोगों की बार-बार की गई शिकायतें वर्षों तक अधिकारियों की फाइलों में दबी रहीं, लेकिन छात्रों और एबीवीपी के विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रशासन हरकत में आया। सबसे पहले परिसर के भीतर बने एनिमल हाउस को खाली कराकर बुलडोजर से गिरा दिया गया।
प्रशासन की सफाई

एडीएम न्यायिक राजकुमार शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय ने ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा कर रखा था। माप-जोख के बाद कब्जे की पुष्टि हुई तो बेदखली की कार्रवाई शुरू की गई। ध्वस्त किया गया ढांचा करीब चार सौ वर्गमीटर क्षेत्र में बना था।
छात्रों पर लाठीचार्ज से बढ़ा विवाद
इससे पहले 1 सितंबर को छात्रों और पुलिस के बीच टकराव हुआ था। प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज भी हुआ, जिससे कई घायल हुए। इसी विवाद की गर्मी में सरकार ने बुलडोजर चलाने का फैसला लिया।
मान्यता और परीक्षा पर सवाल
छात्रों का आरोप है कि संस्थान पिछले चार वर्षों से परीक्षा नहीं करा रहा, जबकि नए दाखिले लगातार किए जा रहे हैं। बीसीआई की मान्यता समाप्त होने के बावजूद कॉलेज ने कानून की पढ़ाई जारी रखी। छात्र संगठन इसे सीधे-सीधे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ बता रहे हैं। हालांकि गुरुवार को विद्यालय प्रबंधन ने जारी किए गए बयान में बताया कि उन्हें बोर्ड से मान्यता मिल गई है।
राजनीतिक असर भी दिखा
इस पूरे घटनाक्रम का राजनीतिक असर भी दिखा। एबीवीपी की नाराजगी के चलते भाजपा का प्रस्तावित “वन नेशन वन इलेक्शन” सम्मेलन स्थगित कर दिया गया। छात्र नेताओं का कहना है कि जब तक विश्वविद्यालय और सरकार छात्रों की समस्याओं पर ठोस समाधान नहीं निकालते, तब तक विरोध जारी रहेगा।
चुप्पी से और बढ़े सवाल
उधर, यूनिवर्सिटी प्रबंधन की चुप्पी ने संदेह और गहरा कर दिया है। जमीन कब्जे, मान्यता रद्द होने और परीक्षाएं न कराने जैसे गंभीर आरोपों के बीच बुलडोजर की गर्जना ने विश्वविद्यालय की साख पर गहरी चोट की है।