विधिविधान से क्षेत्र के 31 स्थलों की दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन, मां के जयकारों से गूंजा वातावरण
अमेठी, संवाददाता : शारदीय नवरात्र की समाप्ति के बाद शुरू हुआ दुर्गा पूजा महोत्सव पर मंगलवार की देर रात्रि को क्षेत्र भर के 31 पूजा पंडालों में स्थाषित मां दुर्गा की प्रतिमाओं की शारदा सहायक नहर के पवित्र जल में विसर्जित किया गया।

गाजे बाजे के साथ भाग शोधयात्रा निकालकर श्रद्धालु अबीर-गुलाल उड़ाते हुए मां के भक्तिगीतों पर थिरकते रहे। क्षेत्र के राम बन गमन पथ से होते हुए परंपरागत नहर में मां दुर्गा की प्रतिमाएं भक्तों ने विधि विधान से विसर्जित की।

धर्म कार्य समिति रामगंज के तत्वाधान में पूजा समिति के अतिथियों के माल्यार्पण, अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। समिति के अध्यक्ष धर्म प्रकाश कसौधन, सदस्य सूरज लाल विश्वकर्मा, आचार्य आशुतोष महाराज, ने स्वागत किया । इस दौरान नहर पर पुलिस फोर्स संग गोडखोर भी रात भर रहे।

घाट पर केन से मूर्तियां विसर्जित करने की व्यवस्था की गई थी। विसर्जन मार्ग पर जगह मां का पूजन कर प्रसाद वितरित किया। घाट पर पहुंची। माता का विधि विधान के साथ पतिमाओं को विसर्जित किया गया। मौके पर पंकज तिवारी,अंबुज, उमेश कुमार , कुलदीप तिवारी ,मनीष सिंह, प्रमोद सिंह, मोनू तिवारी, माधव तिवारी मौजूद रहे।
सिंदूरा खेला के साथ प्रतिमाओं का विसर्जन

माइके आई मां भवानी के विदाई के समय सामाजिक परंपरा का अनूठा समागम देखते ही बन रहा था। पंडालों में जिस मां का छह दिनों तक स्वागत और पूजन किया गया उनकी विदाई का दर्द श्रद्धालुओं की आंखों से छलक पड़ा तो सुहागिन होने की कामना के साथ सिंदूर खेला ने माहौल को उत्सव में बदल दिया। मनोज कुमार बरनवाल की अगुवाई में नवदुर्गा पूजा समिति दुर्गापुर में डीजे की धुन पर मां की आरती के बाद सिंदूर खेला का रंग देखते ही बन रहा था। महिलाएं पहले मां दुर्गा और फिर एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सुहाग की लंबी उम्र की कामना कर रही थीं।

जय मां दुर्गा के जयकारे से गुंजायमान वातावरण के बीच मां के कान में अपनी मनोकामना पूर्ण करने का संदेश देती महिलाओं का समूह पंडालों को नया रंग दे रहा था। मां के माइके आने और सिंदूर खेला के साथ सुहागन होने की कामना के साथ विदाई का मनोरम दृश्य बंगाली समाज की संस्कृति के बारे में बता रहा था। मोनू जायसवाल,सतीश,अजय सेठ,अंकित,जयशंकर, हरिश्चंद्र सत्यम,आलोक,बिक्की,आदि मौजूद रहे।
