कैसे राजा परीक्षित को सात दिन बाद होने वाली मृत्यु का श्राप मिला

अमेठी,संवाददाता : अमेठी जिले के भादर विकास खंड स्थित त्रिसुंडी गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को राजा परीक्षित संवाद का वर्णन किया गया। कथा व्यास आचार्य अवध नारायण शुक्ला वियोगी जी महाराज ने राजा परीक्षित को मिले मुनि के श्राप और फिर उनके भाई शुकदेव के मार्गदर्शन से श्राप से मुक्ति की कथा सुनाई। कथा के दौरान आचार्य जी ने कहा कि कथा से व्यथा और दुख दूर होते हैं। उन्होंने राजा परीक्षित की व्यथा को विस्तार से बताया कि कैसे राजा परीक्षित को सात दिन बाद होने वाली मृत्यु का श्राप मिला।

कथा वाचक ने बताया कि एक बार परीक्षित महाराज जब वन में गए, तो उन्हें प्यास लगी। उन्होंने समीक ऋषि से पानी मांगा, लेकिन ऋषि समाधि में थे, इस कारण पानी नहीं दे सके। परीक्षित ने यह अपमान समझा और गुस्से में आकर मरा हुआ सांप उठाकर ऋषि के गले में डाल दिया। यह घटना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी को बताई, जिन्होंने परीक्षित को श्राप दिया कि सातवें दिन तक्षक नामक सर्प उसे जलाकर भस्म कर देगा। कथा में आगे बताया गया कि जब ऋषि को इस घटना का पता चला, तो उन्होंने देखा कि यह तो एक धर्मात्मा राजा हैं और उनका अपराध केवल कलियुग के प्रभाव में हुआ है। इस पर समीक ऋषि ने राजा परीक्षित को यह संदेश दिया कि वह अपनी मृत्यु से डरें नहीं।

राजा परीक्षित, इस शाप के बाद अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां अनेक ऋषि-मुनि और देवता आए और अंत में व्यास नंदन शुकदेव जी महाराज पहुंचे। शुकदेव जी का स्वागत श्रद्धालुओं ने खड़े होकर किया और सब मिलकर कथा का रसपान करने लगे। कथा के दौरान

श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए और धार्मिक गीतों पर झूमते हुए कथा में सम्मिलित हुए। तीसरे दिन के आयोजन में मुख्य यजमान पंडित जयगोविंद तिवारी के साथ बड़ी संख्या में भक्तों ने कथा का आनंद लिया। इस मौके पर प्रमुख अतिथियों के रूप में ब्लॉक प्रमुख भादर, प्रवीण कुमार सिंह, अरुण त्रिपाठी, अनिल त्रिपाठी, जयप्रकाश, पंकज, साधव, सुरेंद्र मौर्य, कल्लू साहू, उमेश तिवारी आदि मौजूद रहे।























