प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया
नयी दिल्लीः केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र, एक चुनाव का मूड बना लिया है। सरकार का कहना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार के लागू होने से देश में विभाजनकारी राजनीति परास्त होगी और संसाधनों की मितव्ययिता के साथ विकास पर फोकस बढ़ेगा। शासन में स्थिरता आयेगी और देश में वित्तीय भार काफी कम हो जाएगा। इस प्रकार से 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का मार्ग सुलभ होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की एक राष्ट्र एक चुनाव पर रिपोर्ट में की गयीं सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। सूत्रों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ अन्य चुनावों को एक साथ कराना है। इस प्रस्ताव के कई फायदे हैं जो लागत में कमी, चुनावी थकान में कमी, शासन में स्थिरता, मतदाता भागीदारी में वृद्धि, संसाधनों का कुशल उपयोग, नीतियों में स्थिरता, राष्ट्रीय ध्यान केंद्रित करना, सार्वजनिक जीवन में कम व्यवधान, काले धन पर अंकुश, विकास चक्र में समानता, प्रशासनिक भार में कमी, आदर्श आचार संहिता में स्थिरता, दीर्घकालिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहन, चुनाव प्रबंधन में सरलता, मतदाता जागरूकता में वृद्धि, संघवाद को मजबूत करना, निवेशक विश्वास में वृद्धि, लोकतांत्रिक जवाबदेही को मजबूत करना, प्रशासनिक नौकरशाही का राजनीति से कम संबंध, जाति, समुदाय, और धार्मिक ध्रुवीकरण में कमी, चुनावी तैयारी में सुधार, सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में व्यवधान को कम करना, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना, चुनाव अभियानों को सरल बनाना, कानून और व्यवस्था प्रबंधन में सुधार, ईवीएम और वीवीपीएटी का बेहतर उपयोग, केंद्र और राज्य नीतियों के बीच बेहतर समन्वय तथा न्यायिक निरीक्षण को सरल बनाना, हैं। सूत्रों ने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि एक साथ चुनाव कराने से चुनावी खर्चों में कमी आ सकती है, क्योंकि कई दौर में मतदान केंद्र, सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स पर खर्च बचाया जा सकता है। बार-बार होने वाले चुनाव लगातार राजनीतिक प्रचार का चक्र बनाते हैं, जिससे शासन में रुकावट आती है। एक चुनाव चक्र सरकारों को नीति-निर्माण और दीर्घकालिक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की अवसर देगा। लगातार चुनाव छोटे-छोटे, लोकलुभावन निर्णयों को जन्म दे सकते हैं। एक साथ चुनाव होने से सरकारें दीर्घकालिक शासन और विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।