एक्स पर आरोपितों की फोटो पोस्ट करने वाले पत्रकार का प्रेस नोट में नाम डालना बेहद शर्मनाक
लखनऊः थार गाड़ी पर केक रख तलवार से काटने के मामले में पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपितों में मलिहाबाद निवासी मनीष, कुलदीप और सूर्या हैं। पुलिस का यह गुडवर्क जितना सराहनीय है, उतना ही आरोपितों के क़रीब पहुंचाने वाले पत्रकार का प्रेस नोट में नाम डालना निंदनीय भी है।
मुखबिर का नाम भी रखते हैं गोपनीय, फिर पत्रकार का नाम क्यों किया उजागर
पुलिस अपने प्रेसनोट में कभी मुखबिर की भी गोपनीयता भंग नहीं करती, लेकिन फिर एक्स पर इस घटना के आरोपितों की फोटो पोस्ट करने वाले पत्रकार का क्या क़सूर था, बाक़ायदा प्रेस नोट जारी कर उसका नाम क्यों उजागर किया गया? वो पुलिस की मुखबिरी नहीं करता इसलिए? प्रेस नोट पत्रकार के एक्स हैंडल पर पोस्ट थार के बोनट पर केक रख उसे तलवार से काटने के आरोपितों के वीडियो का स्क्रीन शॉट भी संलग्न किया गया है।
पत्रकारों ने की निंदा, पुलिस के कृत्य को बताया शर्मनाक..
साथी पत्रकारों ने भी पुलिस के इस कृत्य की निंदा की है।आरोपितों के वीडियो का स्क्रीन शॉट समेत पत्रकार का नाम उजागर करने पर साथी पत्रकारों का कहना है कि ये मलीहाबाद पुलिस और पुलिस कमिश्नर के मीडिया सेल का कृत्य है, जो बेहद शर्मनाक है। इसका संबंधित पत्रकार ने भी विरोध करते हुए अपने ख़िलाफ़ पुलिस पर षड्यंत्र रचने का आरोप लगाते हुए पूरे इस प्रकरण की जाँच की माँग की है। साथी पत्रकारों ने भी पुलिस के इस कृत्य की निंदा की है।
..पहली बार एक ही घटना के दो प्रेस नोट जारी कर फँस गई पुलिस..
पुलिस ने जो पहला प्रेस नोट जारी किया उसमें बक़ायदा पत्रकार का नाम और उसके द्वारा पोस्ट आरोपितों की फोटो का स्क्रीनशॉट दिया। पत्रकारों के विरोध पर पुलिस को अपनी चूक का अहसास हुआ और दूसरा प्रेस नोट जारी कर दिया, जिसमें सिर्फ़ आरोपितों की गिरफ़्तारी की बात प्रमुखता से थी। अगर पुलिस अपनी बड़ी गलती नहीं मानती तो एक ही घटना के दो प्रेस नोट क्यों जारी किए? अब दो प्रेस नोट जारी करें या तीन इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है। पहले ही प्रेस नोट से पत्रकार तो पकड़े गए बदमाशों के नजर में चढ़ ही गया, अगर उसके साथ कोई घटना होती तो कौन जिम्मेदार होगा? फ़िलहाल इस सवाल पर संबंधित पुलिस अधिकारी चुप्पी साधे हैं।