काका, लखनऊ: सेल्फी का जादू लोगों के सिर पर ऐसा चढ़ा है कि जान गंवाने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। इन दिनों श्री अमरनाथ समेत अन्य धार्मिक यात्राओं में भी सेल्फी से लोग पीछे नहीं हट रहे। जितना खतरनाक प्वाइंट उतना ही सेल्फी लेने में इन्हें गर्व की अनुभूति होती है, लेकिन ये छडिक आनंद कब गम में बदल जाए सेल्फी लेने वालों को भी नहीं पता होगा। पूर्व में सेल्फी लेने के दौरान कई हादसे भी हो चुके हैं, इनसे ही लोग सबक ले लें तो काफी सुधार हो सकता है।
धार्मिक यात्रा में सेल्फी पर लगे रोक…
कई संगठन धार्मिक यात्रा के दौरान सेल्फी लेने पर प्रतिबंध की माँग भी कर चुके हैं। केदारनाथ, अमरनाथ समेत अन्य प्रमुख मंदिरों के आसपास सेल्फी लेने पर प्रतिबंध है, लेकिन फिर भी लोग मानते नहीं। ईश्वर की भक्ति में सेल्फी का क्या काम…पंडित डॉ. उमाशंकर मिश्रा का कहना है कि धार्मिक यात्राओं में सेल्फी लेने वालों का ध्यान ईश्वर से अधिक खुद की ओर होता है। ऐसा करने वालों को ईश्वर का पूरा आशीर्वाद भी नहीं मिलता।
परिवार की भी नहीं रहती चिंता…
कुछ मनोविशेषज्ञ का मानना है कि लोगों को सेल्फी लेने की बीमारी है ऐसे में उन्हें अपने परिवार की भी चिंता नहीं रहती, अगर कोई घटना हो जाए तो परिवारजन की कौन देखरेख करेगा। इसपर ही ठीक से विचार कर लें तो शायद ख़तरनाक प्वाइंट पर कम से कम सेल्फी लेने में लोग पीछे हट जाएँ।