जन्म शताब्दी महोत्सव पर विशेषः सादगी, संवेदना और विनोद से भरे अटल जी के लखनऊ से जुड़े दस यादगार प्रसंग

लखनऊ : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लखनऊ से रिश्ता केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि आत्मीय और भावनात्मक था। नवाबों के इस शहर ने अटल जी को अपनाया और अटल जी ने लखनऊ को अपने व्यक्तित्व, भाषा, विनोद और संस्कारों में उतार लिया। उनके जन्मदिन के अवसर पर लखनऊ से जुड़े ऐसे ही कुछ रोचक, प्रेरक और यादगार किस्से आज भी लोगों के मन को छू जाते हैं।
1. हार के बाद भी जीत का सम्मान

साल 1957 के लोकसभा चुनाव में अटल जी लखनऊ से हार गए, लेकिन उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी पुलिन बिहारी बनर्जी के घर जाकर जीत की बधाई दी। मुस्कराते हुए बोले—
“दादा, चुनाव में तो कंजूसी की, अब तो कुछ लड्डू खिलाइए।”
इस विनोद ने राजनीति में शालीनता की मिसाल कायम की।
2. बुआ का आदेश सर्वोपरि

1957 के विधानसभा चुनाव के दौरान अटल जी आधी रात को फूलकुमारी शुक्ला (अपने गुरु की बहन) के घर पहुंचे और उनके आदेश पर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के चरण स्पर्श किए। अटल जी ने कहा—
“यह बुआ का आदेश है, और आदेश का पालन होगा।”
3. “भयंकर सभा” वाला किस्सा

बेगम हजरत महल पार्क में प्रस्तावित धन्यवाद सभा को सुबह 7 बजे रखने की बात पर अटल जी ने मुस्कुराकर कहा—
“इतनी सुबह कैसी सभा होगी?”
कार्यकर्ताओं ने जवाब दिया— “भयंकर सभा होगी।”
इस पर अटल जी का व्यंग्य आज भी याद किया जाता है।
4. गंजिंग और कैसरबाग का जिक्र

1995 में चुनावी सभा में अटल जी ने कहा—
“आज से 40 साल पहले मैं जवान था, गंजिंग करता था और कैसरबाग चौराहे पर बैठता था।”
फिर गंभीर होकर बोले—
“आज लखनऊ बीमार है, इसका इलाज कराने आए हैं।”
सभा ठहाकों और तालियों से गूंज उठी।
5. राजा ठंडाई की दुकान पर अटल अंदाज

चौक स्थित राजा ठंडाई की दुकान पर जब उनसे पूछा गया— “कैसी… सादी?”
तो अटल जी ने मुस्कुराकर जवाब दिया—
“मैं और सादी! मैंने तो शादी ही नहीं की।”
6. शवयात्रा में पैदल साथ

कैंट विधायक सतीश भाटिया के निधन पर अटल जी आलमबाग श्मशान घाट तक पैदल शवयात्रा में चले। सुरक्षा के आग्रह पर बोले—
“शवयात्रा में कोई गाड़ी से नहीं चलता।”
7. कानून के सामने समानता

बिजली विभाग से जुड़े एक मामले में अटल जी स्वयं शिकायतकर्ता थे। पुलिस जांच में आरोप सिद्ध नहीं हुए और अदालत ने केस समाप्त कर दिया। यह घटना कानून के प्रति उनकी आस्था को दर्शाती है।
8. हरकिशन सिंह सुरजीत से मुलाकात

हजरतगंज में एक सरदार जी को गले लगाकर बातचीत करते देख साथी हैरान रह गए। अटल जी ने मुस्कुराकर कहा—
“कम्युनिस्ट लोगों की अब ये हालत हो गई है।”
वह सरदार जी थे हरकिशन सिंह सुरजीत।
9. गिरफ्तारी पर भी व्यंग्य

1990 में रथयात्रा के दौरान गिरफ्तारी की आशंका पर जिलाधिकारी को देखकर अटल जी बोले—
“हां भइया, कहां ले चलोगे, मेहमान बनाकर?”
10. विमान संकट में साहसिक निर्णय

राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान एक युवक द्वारा विमान उड़ाने की धमकी पर अटल जी स्वयं एयरपोर्ट पहुंचे। स्थिति संभलते ही उन्होंने युवक को माफ कर उसकी जमानत कराने को कहा—
“नादानी में की गई गलती से उसका भविष्य खराब नहीं होना चाहिए।”
लखनऊ की आत्मा में बसे अटल
अटल बिहारी वाजपेयी केवल नेता नहीं थे, वे लखनऊ की तहज़ीब, करुणा और विनोद का जीवंत प्रतीक थे। उनके किस्से आज भी बताते हैं कि राजनीति में भी इंसानियत, संवेदना और संस्कार जिंदा रह सकते हैं।
























