200 शिष्यों का वैदिक परंपरा से स्वागत, संस्कारयुक्त शिक्षा पर दिया जोर
अमेठी,संवाददाता : विकासखंड भादर के घूरे का पुरवा मजरा सिंगठी निवासी समाजसेवी रमेश द्विवेदी के सौजन्य से स्वामी परमहंस महाराज आश्रम, टीकरमाफी में अध्ययनरत गुरुकुल के लगभग 200 बटुक (शिष्य) छात्रों को उनके निज निवास स्थान पर आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर सभी छात्रों का वैदिक परंपरा के अनुसार स्वागत, वंदन एवं अभिनंदन किया गया।
भोजन-प्रसाद के उपरांत सभी बटुक छात्रों को अंगवस्त्र, श्रीमद्भगवद्गीता एवं दान-दक्षिणा भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयोजक रमेश द्विवेदी ने कहा कि समाज में बच्चों के चरित्र निर्माण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। बच्चों में संस्कार एवं संस्कृति को जीवित रखने में गुरुकुल शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर अंबिका प्रसाद पाण्डेय गुरुजी, आचार्य अंकित राज उपाध्याय, आचार्य कपिल द्विवेदी, देवराज उपाध्याय, ज्ञानचंद्र पांडेय, रामदुलार यादव, सूरज यादव सहित क्षेत्र के अनेक सम्मानित आचार्य एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
एक नजर गुरुकुल पर
संस्कृत विद्यालय गुरुकुल में वेदों की शिक्षा के साथ गुरु-शिष्य परंपरा का विधिवत निर्वहन किया जाता है। वेदाध्ययन के लिए देश के विभिन्न प्रदेशों से विद्यार्थी यहाँ आते हैं। गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्रों को शास्त्री (स्नातक) की डिग्री प्रदान की जाती है, जिसके उपरांत वे प्रवक्ता एवं धर्म प्रचारक के रूप में समाज सेवा करते हैं।

तड़के चार बजे होती है दिन की शुरुआत
गुरुकुल में विद्यार्थियों की दिनचर्या प्रातः 4 बजे से प्रारंभ होती है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं आयुर्वेद सहित वेदों की शिक्षा दी जाती है। प्रार्थना, मंत्रोच्चार, व्यायाम, शारीरिक परिश्रम, गुरु सेवा, हवन एवं संध्या वंदन जैसी गतिविधियों से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास किया जाता है। रात्रि 9 बजे विश्राम के बाद पुनः अगली सुबह अनुशासित दिनचर्या आरंभ होती है।
























