महादेव की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
डॉ. उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। इस बार बुधवार, 17 दिसम्बर 2025 को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है। प्रदोष व्रत के अवसर पर व्रत एवं पूजा की सही विधि और विशेष उपाय अपनाने से जीवन में सौभाग्य, शांति और उन्नति के योग बनते हैं।
बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त
जिस त्रयोदशी तिथि को शिव पूजा के लिए उत्तम माना गया है, वह आज 16 दिसंबर 2025, मंगलवार को रात में 11:57 बजे प्रारंभ होकर 18 दिसंबर 2025, गुरुवार को पूर्वाह्न 02:32 बजे समाप्त होगी. ऐसे में भगवान शिव की कृपा दिलाने वाला प्रदोष व्रत कल यानि 17 दिसंबर 2025, बुधवार को ही रखा जाएगा. कल प्रदोष काल का मुहूर्त सायंकाल 05:27 से लेकर रात को 08:11 बजे तक रहेगा.
कैसे करें प्रदोष व्रत का पूजन
प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजन करने के लिए व्यक्ति को प्रदोष काल का समय चुनना चाहिए. तन-मन से पवित्र होकर शिव साधक को सायंकाल प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में महादेव की पूजा गंगाजल, फूल, फल, धूप, दीपक, बेलपत्र, शमीपत्र, भांग, आदि अर्पित करते हुए करनी चाहिए. प्रदोष व्रत की पूजा में शिव के साधक को प्रदोष व्रत की कथा सुननी या फिर कहनी चाहिए. इसी प्रकार पूजन के अंत में महादेव और माता पार्वती की श्रद्धापूर्वक आरती करनी चाहिए.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन प्रातः स्नान कर भगवान शंकर, माता पार्वती एवं नंदी को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।
- इसके बाद बेलपत्र, गंध, चावल, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग एवं इलायची अर्पित करें।
- पूरे दिन निराहार रहें। यदि संभव न हो तो एक समय फलाहार किया जा सकता है।
- सायंकाल पुनः शिव परिवार की विधिवत पूजा करें।
- भगवान शिव को घी एवं शक्कर मिश्रित जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दिशाओं में आठ दीपक प्रज्वलित करें।
- भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
- व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
विशेष उपाय
प्रातःकाल स्नान के पश्चात तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अर्घ्य के जल में आकड़े (मदार) के फूल अवश्य मिलाएं। आकड़े के फूल भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय माने जाते हैं। इस उपाय से सूर्यदेव के साथ-साथ भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भाग्योदय के योग बनते हैं।






















