देवी भगवती के दिव्य रूप की पूजा करने श्रद्धालु नेपाल, भारत और भूटान से पहुंचते हैं
संधिखर्क : नेपाल के लुम्बिनी प्रदेश के अर्घाखांची जिले में समुद्र तल से लगभग 1,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित प्रसिद्ध सूपा देउराली मंदिर देवी भगवती के दिव्य स्वरूप का प्राचीन धाम है। यह स्थल न केवल नेपाल के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक आभा के कारण एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और भूटान से हर वर्ष हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। मंदिर से तीन किलोमीटर दूर स्थित नरपानी पहाड़ी इलाके के रिसोर्ट भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
उत्पत्ति और पौराणिक कथा
स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार प्राचीन समय में यह पूरा क्षेत्र घना जंगल और ऊँची पहाड़ियों से घिरा निर्जन स्थान था। एक दिन एक ग्वाला यहां अपनी गायें चराते हुए आया और उसने देखा कि एक पत्थर से स्वयं दूध बह रहा है। उसने यह बात गाँव में बताई और ग्रामीणों ने वहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी। धीरे-धीरे वहां देवी का दिव्य स्वरूप प्रकट हुआ और इस स्थान का नाम सूपा देउराली पड़ा।
स्थानीय भाषा में— ‘सूपा’ का अर्थ: ऊँचा या शानदार ‘देउराली’ का अर्थ: पहाड़ी दर्रा या विश्राम स्थल अर्थात—“ऊँचे पहाड़ी पर विराजमान देवी का मंदिर” यहां आकर पूजा करने से मन्नतें पूरी होने की मान्यता है, विशेषकर कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यहां पूजा करती हैं। मंदिर के चारों ओर फैली हरियाली, पर्वत श्रृंखलाएं और हिमालय के दृश्य इसे और भी अलौकिक बनाते हैं। सुबह की धुंध और घंटियों की गूंज वातावरण को आध्यात्मिक बना देती है।
आस्था और विनम्रता की प्रसिद्ध कथा
मंदिर से जुड़ी एक प्रसिद्ध लोककथा आज भी लोगों की आस्था को मजबूत बनाए हुए है। वर्षों पहले एक नेपाली सैनिक, जो ब्रिटिश सेना में सेवा कर चुका था, घमंड से भरा अपने गांव लौट रहा था। गांव वालों ने उसे देवी के दर्शन करने की सलाह दी, लेकिन उसने उपहास किया। कहते हैं कि उसने मंदिर के पास एक पत्थर पर पैर रखकर देवी का मज़ाक उड़ाया, तभी उसका शरीर उसी पत्थर से चिपक गया। पुजारी द्वारा घंटों तक पूजा और क्षमायाचना करने के बाद ही वह अलग हो सका। वह सैनिक देवी के चरणों में गिर पड़ा और अपनी भूल पर रोते हुए क्षमा मांगी आज भी उस स्थान को “सैनिक टासेको ढुंगा” यानी जहां सैनिक चिपक गया था कहा जाता है।
विनम्रता और भक्ति का प्रतीक
सूपा देउराली मंदिर केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि भक्ति, नम्रता और ईश्वर पर विश्वास का जीवंत उदाहरण है। यहां आने वाले श्रद्धालु हर कदम पर देवी की कृपा और पहाड़ी प्रकृति की दिव्यता को महसूस करते हैं। यह स्थान अर्घाखांची की आध्यात्मिक धरा को और भी पवित्र बनाता है।






















