बोले योगी, ऋषि-मुनियों के संदेश को अपनाएं, विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग होगा प्रशस्त
लखनऊ, संवाददाता : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की परंपरा संतों, ऋषि-मुनियों और महापुरुषों के त्याग तथा बलिदान की महागाथा है। भारत में आज भी पवित्र उपासना विधियां पूरे श्रद्धाभाव के साथ इस महान परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि तीन दिन पूर्व अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के महायज्ञ की पूर्णाहुति संपन्न हुई, जिसके साथ भगवा ध्वज का आरोहण भी हुआ। इस कार्यक्रम के माध्यम से संपूर्ण देश और विश्व ने भारत के सनातन वैभव को देखा और अनुभव किया।
गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तरुण सागरम् तीर्थ, मुरादनगर (गाजियाबाद) पहुंचे, जहां उन्होंने पंचकल्याणक महामहोत्सव के अंतर्गत 100 दिन में निर्मित गुफा मंदिर का उद्घाटन किया। योगी ने भगवान पार्श्वनाथ जी और संत तरुण सागर जी महाराज को नमन किया। उन्होंने ‘मेरी बिटिया’ और ‘अंतर्मना दिव्य मंगल पाठ’ पुस्तकों का विमोचन भी किया।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऋषि-मुनि परंपरा ने जो संदेश दिया है, यदि हम उसे आत्मसात करें, तो यह विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज और उपाध्याय मुनि पीयूष सागर जी महाराज की कठोर तपस्या का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी दिनचर्या— 557 दिन की कठोर साधना, 496 दिन का निर्जल उपवास, तप, अनुशासन और आत्मसंयम—अद्भुत उदाहरण हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह साधना दर्शाती है कि यदि मनुष्य दृढ़ संकल्प कर ले, तो बाहरी संसार की प्रत्येक अनुभूति उसके अपने शरीर और साधना में भी दृष्टिगोचर हो सकती है। प्रसन्न सागर जी महाराज की तपस्या के माध्यम से इस सत्य को देखने और अनुभव करने का अवसर प्राप्त हुआ।























