सज्जनों की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए पृथ्वी पर अवतरित होते हैं भगवान
अमेठी,संवाददाता : विकास खंड भादर के त्रिसुंडी गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। कथा के चौथे दिन आचार्य आशुतोष तिवारी जी महाराज ने भरत चरित्र, गजेन्द्र मोक्ष, वामन अवतार व प्रह्लाद चरित्र का भावपूर्ण और मनोहारी वर्णन किया। आचार्य ने कहा कि भगवान संसार के कल्याण हेतु समय–समय पर अवतार लेते हैं। जब-जब धर्म की हानि होती है, तब भगवान सज्जनों की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।

उन्होंने वामन अवतार के प्रसंग में बताया कि भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह सीख दी कि अहंकार से जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं होता। परोपकार ही मनुष्य का सच्चा धर्म है। अहंकार, गर्व, घृणा और ईर्ष्या से मुक्त होकर ही मनुष्य ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकता है।

कथा व्यास ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा बड़े ही भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि अत्याचारी कंस के पापों से जब धरती व्याकुल हुई, तब भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। देवकी की सात संतानों के बाद आठवें गर्भ के समय कंस का भय व्याप्त था, परंतु प्रभु की लीला अपरंपार है—कृष्ण जन्म लेते ही जेल के बंधन टूट गए और वे सुरक्षित गोकुल पहुंचा दिए गए। कथा के संगीत-मय वातावरण में श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूमते नजर आए। इस दौरान मुख्य यजमान अजय कुमार, रोशनी मौर्य, तथा शकुंतला देवी, विजय मौर्य, कंचन, आशीष, कोमल, मनीष कुमार, उषा देवी, सोना देवी, राधेश्याम, विद्यावती, चंद्रावती सहित अनेक भक्तों ने कथा का रसपान किया।

























