डफरिन अस्पताल में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में अव्यवस्था चरम पर
लखनऊ,संवाददाता : डफरिन अस्पताल (वीरांगना अवंतीबाई महिला चिकित्सालय) में जन्म प्रमाण पत्र बनवाना लोगों के लिए रोजमर्रा की बड़ी समस्या बन गया है। दुधमुंहे बच्चों को साथ लेकर आए माता-पिता को चार से पाँच घंटे तक लाइन में खड़ा रहना पड़ता है, और समय सीमा बीत जाने पर अगले दिन फिर से लाइन में लगना पड़ता है। कई परिवार महीनों तक चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
अस्पताल में प्रतिदिन 25–30 प्रसव (सामान्य व सिजेरियन) होते हैं, लेकिन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए केवल एक ही विंडो उपलब्ध है। एक प्रमाण पत्र तैयार करने में आधे घंटे से अधिक समय लग जाता है। विंडो का समय सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक तय है, जिसके कारण लंबी लाइनें लग रही हैं, और शाम चार बजे तक नंबर न आने पर अभिभावकों को मायूस लौटना पड़ता है।

अव्यवस्था के उदाहरण
केस–1 : अमित गौतम, अटेसुआ (इटौंजा)
अमित गौतम की पत्नी की अगस्त में डिलीवरी हुई थी। जन्म प्रमाण पत्र के लिए उन्हें कई दिनों तक अस्पताल के चक्कर लगाने पड़े। हर बार तकनीकी खामी बताकर उन्हें लौटा दिया गया। शुक्रवार को वे दोपहर 12 बजे लाइन में लगे, लेकिन 2:30 बजे तक भी नंबर नहीं आया, और चार बजे विंडो बंद होने का डर बना रहा।
केस–2 : पायल जोशी, रकाबगंज
पायल जोशी ने 28 अक्टूबर को बेटे को जन्म दिया। वे शुक्रवार सुबह आठ बजे ही बच्चे को लेकर लाइन में पहुँच गईं, लेकिन कर्मचारी 10 बजे आया और बेहद धीमी गति से काम शुरू किया। 2:10 बजे उनका नंबर आया, मगर उसी बीच कर्मचारी शीट छोड़कर कहीं चला गया, जिससे वे बच्चे को लेकर परेशान रहीं।
केस–3 : अरविंद सोनी, बलरामपुर
अरविंद सोनी अपने बेटे अनुभव सोनी (जन्म: अक्टूबर 2023) का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए एक साल से दौड़ रहे हैं। हर बार उन्हें तकनीकी समस्या बताकर लौटा दिया गया। अब थकहार कर उन्होंने वकील के माध्यम से आवेदन कराया है।
सर्वर ठप रहने से बढ़ी समस्या
पिछले तीन दिनों से सर्वर बंद था। शुक्रवार को सर्वर शुरू हुआ, जिससे प्रमाण पत्र बनाने का दबाव अचानक बढ़ गया। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि तकनीकी दिक्कतें दूर की जाएँगी और व्यवस्था सुधारने पर काम किया जा रहा है।























