बिहार विधानसभा की सबसे कम उम्र की विधायक बनकर रचा इतिहास
बिहार, संवाददाता: बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर इन दिनों राजनीति में अपनी विशिष्ट पहचान बना रही हैं। मात्र 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने अलीनगर विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की है और इसी के साथ वे बिहार विधानसभा की सबसे कम उम्र की विधायक बन गई हैं।
राजनीति में आने से पहले ही थी देशभर में पहचान
संगीत के क्षेत्र में मैथिली ठाकुर किसी परिचय की मोहताज नहीं थीं। लोकगीतों, भजन और शास्त्रीय गायन में उनकी महारत ने उन्हें देशव्यापी लोकप्रियता दिलाई। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस मुकाम तक पहुँचने के लिए मैथिली और उनके परिवार ने संघर्ष, आर्थिक तंगी और लगातार होने वाले रिजेक्शन्स का सामना किया।
रियलिटी शोज़ से मिला रिजेक्शन, पर नहीं टूटा हौसला
मैथिली ठाकुर का संगीत के प्रति प्रेम बचपन से ही था। वे कई सिंगिंग रियलिटी शोज़ में गईं, लेकिन बार-बार रिजेक्शन मिला। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था: सबसे पहले उन्होंने सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स में कोशिश की, लेकिन शास्त्रीय संगीत की ओर ज्यादा झुकाव होने के कारण उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने खुद से वादा किया कि वे बॉलीवुड गानों पर भी समान पकड़ बनाएँगी। फिर 2015 में इंडियन आइडल के ऑडिशन में भी उन्हें रिजेक्शन मिला। कारण—उनके पिता का उन्हें शास्त्रीय संगीत पर टिके रहने का सुझाव। इन असफलताओं ने उन्हें नहीं रोका। बल्कि हर बार उन्होंने और अधिक मेहनत की और बाद में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से पूरे देश में पहचान बनाई।
गरीबी, ताने और संघर्ष से निकली युवा नेता की कहानी
मैथिली ठाकुर ने कई बार बताया है कि उनके शुरुआती जीवन में आर्थिक कठिनाइयाँ थीं। परिवार ने सीमित साधनों में रहकर संगीत सीखने और बच्चों को आगे बढ़ाने का सपना जिंदा रखा। समाज के लोगों के ताने, मंचों से मिले रिजेक्शन और आर्थिक दबाव—इन सबके बावजूद परिवार ने हार नहीं मानी। आज उसी संघर्ष की बदौलत मैथिली न केवल एक सफल गायिका हैं, बल्कि अब बिहार की राजनीति में युवा नेतृत्व का प्रतीक भी बन चुकी हैं।
























