कामदेव ने खुले मैदान में भगवान पर अपने पूरे सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया, परंतु वह स्वयं परास्त हो गया

अमेठी,संवाददाता : विकासखंड भादर के त्रिसुंडी गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन सोमवार को कथा वाचक आचार्य अवध नारायण शुक्ला वियोगी जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की रुक्मणि विवाह और कंस वध की लीला का वर्णन किया। कथा सुनकर उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे और “जय श्रीकृष्ण” के जयकारों से पंडाल गूंज उठा।

आचार्य वियोगी जी ने कहा कि भगवान की अनेक लीलाओं में रासलीला सबसे श्रेष्ठ है। उन्होंने बताया कि “रास तो जीव और शिव के मिलन की कथा है।” यह काम को बढ़ाने की नहीं, बल्कि उस पर विजय प्राप्त करने की कथा है। कामदेव ने खुले मैदान में भगवान पर अपने पूरे सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया, परंतु वह स्वयं परास्त हो गया। रासलीला में काम या शंका करना ही पाप है।
व्यासपीठ से उन्होंने कहा कि जब-जब जीव में अभिमान आता है, भगवान उससे दूर हो जाते हैं। किंतु जब जीव विरह में होता है और प्रभु के दर्शन की लालसा रखता है, तब श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते हैं। आचार्य जी ने कंस वध प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कंस के अत्याचारों से जब धरती त्राहि-त्राहि करने लगी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया। बचपन में कई बार कंस ने श्रीकृष्ण को मारने का प्रयास किया, किंतु हर बार असफल रहा। अंततः श्रीकृष्ण ने मथुरा पहुंचकर अपने मामा कंस का वध किया और जनता को भयमुक्त किया।

रुक्मणि विवाह प्रसंग में आचार्य जी ने बताया कि रुक्मणि माता लक्ष्मी का अवतार थीं और विदर्भ साम्राज्य की राजकुमारी थीं। वह श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती थीं, परंतु उनके पिता व भाई इस विवाह के विरोध में थे। उन्होंने रुक्मणि का विवाह शिशुपाल से तय कर दिया और समारोह में जरासंध को भी आमंत्रित किया। यह जानकर रुक्मणि ने एक दूत के माध्यम से श्रीकृष्ण को संदेश भेजा। भगवान ने वीरता से युद्ध कर रुक्मणि जी का हरण किया और अंततः उनसे विवाह किया। कथा के अंत में भव्य आरती संपन्न हुई और श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य यजमान पंडित जयगोविंद तिवारी सहित डॉ. एच. एन. त्रिपाठी, अखिलेश तिवारी, रामदुलार सिंह, ज्ञानप्रकाश मिश्रा, पवन ओझा, ज्ञानचंद्र पांडे, अनिल तिवारी, भानु सिंह, पप्पू सिंह, अखंड प्रताप, प्रशांत सिंह सहित अनेक भक्तों ने कथा का रसपान किया।





















