नीतीश सरकार पर राजद और विपक्ष द्वारा शराब माफिया को संरक्षण देने का लगा आरोप
पटना,संवाददाता : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन ने अपना घोषणापत्र जारी करते हुए बड़ा ऐलान किया है — ताड़ी को 2016 के शराबबंदी कानून से मुक्त किया जाएगा। राजद नेता तेजस्वी यादव ने पासी समुदाय की सभा में कहा कि यह कदम “पारंपरिक आजीविका को बचाने और सामाजिक न्याय” की दिशा में उठाया गया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि उपमुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ताड़ी को शराब की श्रेणी से बाहर रखने का अनुरोध किया था, लेकिन उस समय यह प्रस्ताव मंज़ूर नहीं हुआ। उन्होंने कहा — पासी समाज सदियों से ताड़ और खजूर के पेड़ों से ताड़ी निकालकर अपनी जीविका चलाता आया है। यह परंपरा आजीविका का हिस्सा है, अपराध नहीं।”
अब यह वादा महागठबंधन के घोषणापत्र में शामिल है। बिहार जाति सर्वेक्षण के अनुसार, पासी जाति की आबादी करीब 13 लाख है, यानी कुल आबादी का लगभग 1% से भी कम। यह समुदाय महादलित श्रेणी में आता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम दलित और महादलित वोटबैंक को मज़बूत करने की रणनीति है।गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल में ताड़ी पर टैक्स माफ किया था।
शराबबंदी की पृष्ठभूमि और विवाद
अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार की जेडीयू-राजद-कांग्रेस सरकार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी। इस कानून में किण्वित ताड़ी यानी नीरा से बनी ताड़ी भी शामिल कर दी गई। तब राजद और भाजपा दोनों ने कानून का समर्थन किया था, लेकिन पासी समुदाय ने चेताया था कि इससे उनकी आजीविका पर गंभीर असर पड़ेगा नीतीश कुमार अब भी शराबबंदी को महिलाओं के सशक्तिकरण से जोड़ते हैं। वे कहते हैं — शराब की लत से सबसे अधिक महिलाएं पीड़ित होती थीं। प्रतिबंध से परिवार और समाज को राहत मिली है।” हालांकि, अवैध शराब से मौतें और कालाबाजारी अब भी जारी हैं। नीतीश सरकार पर राजद और विपक्ष लगातार शराब माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाते रहे हैं।
पीके की जन सुराज पार्टी का रुख
प्रशांत किशोर (पीके) की जन सुराज पार्टी ने भी इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया है। उन्होंने वादा किया है कि सत्ता में आने पर पूर्ण शराबबंदी खत्म की जाएगी। पीके का तर्क है — शराबबंदी असफल है। इसे हटाने से राज्य को हर साल करीब ₹28,000 करोड़ का राजस्व मिलेगा। उनका कहना है कि यदि बिक्री नियंत्रित रूप से शुरू की जाए, तो राजस्व बढ़ेगा और अपराध घटेगा।
एनडीए में मतभेद, राजद का हमला
एनडीए के भीतर भी इस मुद्दे पर मतभेद उभर आए हैं। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शराबबंदी की समीक्षा की मांग की है। उन्होंने कहा — इस कानून में गरीब फंस रहे हैं, अमीर बच निकलते हैं। राजद ने इस पर नीतीश सरकार को निशाने पर लिया है। पार्टी ने कहा कि शराबबंदी ने राजस्व घटाया, भ्रष्टाचार बढ़ाया और तस्करी को बढ़ावा दिया।
चुनावी समीकरणों पर असर
ग्रामीण इलाकों में ताड़ी आज भी सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का हिस्सा है। महागठबंधन का यह वादा न सिर्फ पासी समुदाय, बल्कि अन्य पारंपरिक श्रमजीवी वर्गों को भी प्रभावित कर सकता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, यह मुद्दा जाति और आजीविका के बीच संतुलन बनाकर चुनावी गणित बदलने की क्षमता रखता है।























