कई इलाकों में PM2.5 का स्तर 675 तक पहुंच गया, जो पिछले चार वर्षों में सबसे ऊंचा है
नई दिल्ली,संवाददाता : दीवाली की जगमगाहट और आतिशबाजियों की चमक ने एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर की हवा को जहरीला बना दिया है। त्योहार के कुछ ही दिनों बाद से राजधानी की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गई है। हवा में घुला धुआं और स्मॉग न केवल सांस लेने में मुश्किलें पैदा कर रहा है, बल्कि अस्पतालों में अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस और गर्भावस्था से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के मरीजों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
चार साल में सबसे खराब हवा
20 से 23 अक्टूबर के बीच दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। कई इलाकों में PM2.5 का स्तर 675 तक पहुंच गया, जो पिछले चार वर्षों में सबसे ऊंचा है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों की शुरुआत, ठंडी हवाओं की कमी और पटाखों के धुएं का मिश्रण इस प्रदूषण को और भी खतरनाक बना देता है।
सिल्वरस्ट्रेक सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. पुलकित अग्रवाल ने बताया “दीवाली के दो दिन बाद ही अस्थमा, एलर्जिक ब्रॉन्काइटिस और सांस लेने में तकलीफ वाले मरीजों की संख्या में करीब 30% बढ़ोतरी हुई है। घना स्मॉग हवा को जहरीला बना रहा है, जिससे खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों को गंभीर दिक्कतें हो रही हैं।”
‘धुएं का कॉकटेल’ सेहत के लिए घातक
गुड़गांव स्थित शाल्बी इंटरनेशनल हॉस्पिटल के डॉ. मोहित भारद्वाज का कहना है कि पटाखों का धुआं, ठंडी और स्थिर हवा के साथ मिलकर प्रदूषण को जमीन के पास फंसा देता है। बकौल डॉ मोहित “दिल और फेफड़ों के मरीजों को सुबह-शाम बाहर निकलने से बचना चाहिए। N95 मास्क पहनना और डॉक्टर द्वारा दी गई नियमित दवाएं लेना बेहद जरूरी है।”
























