भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने, जीवन में सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति हेतु किये जाते है व्रत
डॉ. उमाशंकर मिश्रा,लखनऊ : कार्तिक मास का प्रारंभ 8 अक्टूबर 2025, बुधवार से हुआ है और समापन 5 नवम्बर 2025, बुधवार को होगा। प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में तारों की छाया में स्नान कर दिनभर व्रत रखते हुए रात्रि में भोजन किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने, जीवन में सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति हेतु किया जाता है।
10 अक्टूबर (शुक्रवार) – करवाचौथ
व्रत: विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्रदर्शन के बाद व्रत समाप्त होता है।
13 अक्टूबर (सोमवार) – अहोई अष्टमी
व्रत: संतान की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं यह व्रत करती हैं। इस दिन रवि-पुष्य योग भी है, जो खरीदारी के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
17 अक्टूबर (शुक्रवार)
रंभा एकादशी – भौतिक सुख-सुविधा, सुख-समृद्धि और संकट नाश हेतु व्रत।
गोवत्स द्वादशी – गाय व बछड़े की पूजा, गेहूं से बनी वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। इस दिन दुग्धाहार नहीं किया जाता।
18 अक्टूबर (शनिवार) – धनतेरस एवं यम दीपदान
व्रत: भगवान धन्वंतरि का जन्मोत्सव, लक्ष्मी पूजन का आरंभ। इस दिन बर्तन, आभूषण आदि खरीदना शुभ माना गया है। यमराज को दीपदान करने की परंपरा है।
19 अक्टूबर (रविवार) – नरक चतुर्दशी एवं हनुमान जयंती
व्रत: भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर वध की स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है।
20 अक्टूबर (सोमवार)
रूप चतुर्दशी – रूप निखारने हेतु उबटन व स्नान का विशेष दिन।
दीपावली – कार्तिक अमावस्या को लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती पूजन। रात्रि में दीप जलाकर घर, दुकान, प्रतिष्ठान सजाए जाते हैं।
22 अक्टूबर (बुधवार) – गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट
व्रत: श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन उठाने की स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है। गायों की पूजा और अन्नकूट महोत्सव का आयोजन होता है।
23 अक्टूबर (गुरुवार) – भाई दूज
व्रत: बहनें भाइयों को तिलक कर भोजन कराती हैं। भाइयों की दीर्घायु और सफलता की कामना की जाती है।
25 अक्टूबर (शनिवार) – छठ पूजा प्रारंभ
पर्व: सूर्योपासना का यह पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है। इसमें नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और प्रात: अर्घ्य की विशेषता होती है।
- 27 अक्टूबर: संध्या अर्घ्य
- 28 अक्टूबर: प्रात: अर्घ्य और व्रत पारण
29 अक्टूबर (बुधवार) – गोपाष्टमी
गायों की पूजा और सेवा का दिन।
30 अक्टूबर (गुरुवार) – आंवला नवमी / अक्षय नवमी
व्रत: आंवले के वृक्ष की पूजा, इसके नीचे भोजन करने की परंपरा। परिवार की सुख-शांति के लिए किया जाता है।
1 नवम्बर (शनिवार) – देवोत्थान एकादशी / तुलसी विवाह
व्रत: भगवान विष्णु चतुर्मास से जागते हैं। तुलसी विवाह का आयोजन होता है। इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
4 नवम्बर (मंगलवार) – बैकुंठ चतुर्दशी / हरिहर मिलन
व्रत: भगवान शिव और विष्णु के मिलन का पर्व। इस दिन विशेष पूजा की जाती है।
5 नवम्बर (बुधवार) – कार्तिक पूर्णिमा / देव दीपावली
व्रत: कार्तिक स्नान, दीपदान और शिव पूजन के साथ कार्तिक मास का समापन।
देव दीपावली: काशी और अन्य तीर्थों में दीप जलाकर उत्सव मनाया जाता है।
नोट: कार्तिक मास हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। इस मास में किया गया प्रत्येक व्रत, स्नान, दान और दीपदान अक्षय फल प्रदान करता है।