ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
दिनांक: 20 सितम्बर 2025, शनिवार
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
अयन: दक्षिणायन
ऋतु: शरद ऋतु
मास: आश्विन
पक्ष: कृष्ण पक्ष
तिथि: चतुर्दशी (रात्रि 11:45 तक), तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र: मघा (प्रातः 9:10 तक), तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग: साध्य (रात्रि 9:57 तक), तत्पश्चात शुभ
राहुकाल: प्रातः 9:00 से 10:30 तक
सूर्योदय: प्रातः 5:57
सूर्यास्त: सायं 6:03
दिशाशूल: पूर्व दिशा
व्रत एवं पर्व: चतुर्दशी का श्राद्ध (आग-दुर्घटना, अस्त्र-शस्त्र, अपमृत्यु से मृत व्यक्तियों का श्राद्ध)
विशेष: चतुर्दशी
सर्व पितृ अमावस्या विशेष
तिथि: 21 सितम्बर 2025, रविवार श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है। यह दिन उन समस्त ज्ञात और अज्ञात पितरों के तर्पण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से पितृगण तृप्त होते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं। साथ ही पितृ दोष भी कम होता है।
अनुष्ठान और उपाय:
- पीपल वृक्ष में पितरों का वास माना गया है। इस दिन पीपल को जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं।
- ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन कराएं या आटा, फल, गुड़ आदि का दान करें।
- किसी पवित्र नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें।
- गाय को हरा चारा खिलाएं।
- चावल के आटे से पांच पिंड बनाकर लाल कपड़े में लपेटें और नदी में प्रवाहित करें।
- गाय के गोबर से बने कंडे पर घी-गुड़ की धूप दें और “पितृ देवताभ्यो अर्पणमस्तु” कहें।
- कच्चा दूध, जौ, तिल और चावल मिलाकर नदी में सूर्योदय के समय प्रवाहित करें।
विशेष उपाय (पितृ तृप्ति हेतु):
- सूर्यास्त से पहले एक स्टील के लोटे में दूध, पानी, काले-सफेद तिल और जौ मिलाएं।
- साथ में सफेद मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के और एक जनेऊ लें।
- यह सभी सामग्री पीपल वृक्ष की जड़ में चढ़ाएं।
- इस दौरान “सर्व पितृ देवभ्यो नमः” मंत्र का जप करें।
- पीपल को जनेऊ अर्पित करें।
- फिर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का सात बार जाप करें।
- भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि सभी अतृप्त पितर तृप्त हो जाएं।
इस विधि से पितृ दोष शांत होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे मानसिक, पारिवारिक और आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं।