शिक्षकों का पीएमओ को पत्र अभियान शुरू, 20 सितंबर तक चलाएंगे आंदोलन
लखनऊ,संवाददाता : सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के सभी शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अनिवार्य करने के आदेश ने लाखों शिक्षकों की नौकरी पर संकट खड़ा कर दिया है। आदेश के अनुसार, अगले दो वर्षों के भीतर टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर शिक्षकों को नौकरी छोड़नी पड़ सकती है।
शिक्षकों का विरोध, पीएमओ को भेज रहे पत्र
इस आदेश के विरोध में उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के आह्वान पर शिक्षकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को डाक से पत्र भेजने का अभियान शुरू कर दिया है।
- अभियान की शुरुआत बुधवार से हुई।
- पहले ही दिन 97,890 शिक्षकों ने अपनी समस्याएं पत्र के माध्यम से साझा कीं।
- अभियान 20 सितंबर तक चलेगा।
- 5 लाख पत्र भेजने का लक्ष्य रखा गया है।
क्या है शिक्षकों की मांग?
संघ की मुख्य मांग है कि, 25 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जाए। उनका कहना है कि 55 वर्ष का शिक्षक बच्चों को पढ़ाए या खुद परीक्षा की तैयारी करे? संघ ने केंद्र सरकार से अपील की है कि यदि चाहे तो शिक्षकों को राहत दी जा सकती है। यदि मांगें नहीं मानी गईं तो अगले माह जंतर-मंतर पर बड़ा धरना देने की योजना है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होगी पुनर्विचार याचिका?
संघ पदाधिकारियों ने बताया कि जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी। इसके लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं की एक टीम मामले का अध्ययन कर रही है। संघ ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी अपील की है कि वह केरल सरकार की तरह सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखे।
“एनसीटीई ने किया शिक्षकों के साथ छल” – संघ
संघ के महासचिव जमशेफ शरीफ ने कहा कि एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) ने शिक्षकों के साथ छल किया है। केंद्र सरकार को तुरंत इस नियम को वापस लेना चाहिए। उन्होंने वर्ष 2017 का उल्लेख करते हुए कहा कि तब भी सुप्रीम कोर्ट ने बिना टीईटी पास किए 1.35 लाख शिक्षा मित्रों की नियुक्ति रद्द कर दी थी। यदि इस बार भी समाधान नहीं निकला तो लाखों शिक्षक रोजगार से हाथ धो बैठेंगे और इसका गंभीर असर शिक्षा व्यवस्था पर पड़ेगा।