जिले में उगता है देश का सबसे अधिक मेंथा, जीएसटी में बदलाव से बढ़ी किसानों की उम्मीदें
(शोभित शुक्ला) बाराबंकी : जनपद आज मेंथा की खेती में पूरे देश का केंद्र बिंदु बन गया है। यहां देश की कुल पैदावार का लगभग 60 प्रतिशत उत्पादन होता है। भारत को दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक बनाने में जिले की विशेष भूमिका है। प्रदेश मेंथा किसान समिति के अध्यक्ष राजेश कुमार का कहना है कि लंबे समय तक इस फसल को न तो कृषि की श्रेणी में रखा गया और न ही बागवानी का दर्जा मिला, जिससे किसानों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका। इसके बावजूद स्थानीय कृषकों ने कठिन परिश्रम से इस फसल को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
सरकार की पहल से राहत
केंद्र सरकार की हालिया घोषणा में प्राकृतिक मेंथा पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि कृत्रिम मेंथा पर कर बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इस फैसले का सीधा लाभ वास्तविक किसानों को मिलेगा और सिंथेटिक उत्पादन हतोत्साहित होगा। खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा और सांसद तनुज पुनिया ने इस निर्णय का स्वागत किया है। दोनों जनप्रतिनिधियों ने दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंटकर किसानों को लागत और मूल्य के बीच आ रही कठिनाइयों से अवगत कराया था तथा सिंथेटिक मेंथा पर सख्ती की मांग की थी।
आर्थिक मजबूती की नींव
पिछले एक दशक से मेंथा जायद की मुख्य फसल बन चुकी है। जिले में करीब 95 हजार हेक्टेयर भूमि पर इसका रोपण होता है। साढ़े तीन लाख से अधिक परिवार इससे जुड़े हैं और सालाना पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात किया जाता है। इससे न केवल किसान खुशहाल हो रहे हैं बल्कि राष्ट्रीय आय को भी मजबूती मिल रही है।
चुनौतियां और उम्मीदें
मेंथा की खेती को अन्य फसलों की तुलना में अधिक पानी चाहिए। नहरों से पर्याप्त आपूर्ति न मिलने पर किसान निजी पंपिंग सेट का सहारा लेने को मजबूर होते हैं। बावजूद इसके किसान इस फसल को नहीं छोड़ रहे, क्योंकि यह अन्य फसलों से कहीं अधिक लाभकारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार इस फसल को औपचारिक रूप से कृषि का दर्जा प्रदान करे तो किसानों को योजनाओं का लाभ मिलेगा और उत्पादन में नई ऊंचाई हासिल होगी।