इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है
धर्म डेस्क, लखनऊ : भाद्रपद शुक्ल एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है, जिसे जलझूलनी एकादशी और पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से जीवन में सुख-समृद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है।
व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 सितंबर 2025 को रात 03:53 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त: 4 सितंबर 2025 को सुबह 04:21 बजे तक
पारण मुहूर्त
व्रतधारियों को द्वादशी के दिन व्रत का पारण करना चाहिए।
पारण तिथि: 4 सितंबर 2025
पारण का समय: दोपहर 01:36 बजे से 04:07 बजे तक ध्यान दें: शुभ फल प्राप्ति के लिए पारण समय में ही व्रत खोलें।
पारण विधि
प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें। मंदिर की सफाई करके सूर्य देव को अर्घ्य दें। देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु-माँ लक्ष्मी की आरती करें। विष्णु चालीसा और मंत्रों का जाप करें। प्रभु को सात्विक भोग अर्पित करें जिसमें तुलसी के पत्ते अवश्य हों। प्रसाद वितरण करें और अंत में स्वयं ग्रहण करें।
करें इन मंत्रों का जाप:
1. विष्णु मंत्र:
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
2. तुलसी स्तोत्र:
वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी ।
पुष्पसारा, नंदिनी च तुलसी, कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्तोत्र नामार्थ संयुतम् ।
य: पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
व्रत का महत्व
विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह भी मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा की मुद्रा में करवट बदलते हैं।