सात नवंबर से शुरू होगी सनातन एकता पदयात्रा
मथुरा, संवाददाता : बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सोमवार को मथुरा में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि देश के मंदिरों और मस्जिदों में राष्ट्रगीत बजाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि कौन सच में देश के प्रति निष्ठावान है और कौन नहीं। शास्त्री मथुरा में 7 से 16 नवंबर तक आयोजित होने वाली ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ की तैयारियों को लेकर पहुंचे थे। इस यात्रा का उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना, धार्मिक मूल्यों की पुनर्स्थापना, और ब्रज क्षेत्र में मांस-मदिरा की बिक्री पर रोक जैसी मांगों को लेकर जन जागरण करना है।
धीरेंद्र शास्त्री के अनुसार, यह यात्रा दिल्ली से वृंदावन तक लगभग 170 किलोमीटर की होगी। यात्रा का समापन 16 नवंबर को श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के साथ होगा यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन है। सनातन धर्म के अनुयायियों को एकजुट करना, ब्रज में धर्मशुद्धि लाना और यमुना की पवित्रता को पुनः स्थापित करना ही इसका उद्देश्य है ।
महंतों और नेताओं की उपस्थिति
वृंदावन के कृष्ण कृपा धाम आश्रम में आयोजित सभा में देशभर से आए 200 से अधिक साधु-संतों ने भाग लिया। सभा में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज, बीजेपी सांसद मनोज तिवारी सहित कई अन्य संतों और धार्मिक नेताओं ने भाग लिया। इसमें यात्रा के अनुशासन, गरिमा और उद्देश्यों को लेकर चर्चा हुई। धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान कि “मंदिरों और मस्जिदों में राष्ट्रगीत बजना चाहिए”, राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। कुछ इसे धार्मिक एकता की कसौटी मान रहे हैं, तो कुछ इसे धार्मिक स्थलों का राजनीतिकरण करार दे रहे हैं।
मुख्य माँगें और आंदोलन की रूपरेखा
पदयात्रा के ज़रिए शास्त्री और उनके समर्थक कुछ प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं: मथुरा में भव्य श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण, ब्रज क्षेत्र में मांस व मदिरा की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध, यमुना नदी की सफाई और संरक्षण, धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रगीत का अनिवार्य बजाया जाना, हिंदू समाज के अधिकारों की रक्षा और जागरूकता धीरेंद्र शास्त्री का दावा है कि यह पदयात्रा इतनी भव्य और ऐतिहासिक होगी कि इसकी मिसाल पहले कभी नहीं देखी गई। लाखों की संख्या में श्रद्धालु, संत, और धर्मप्रेमी जन इसमें भाग लेंगे। पदयात्रा की तैयारी को लेकर स्थानीय प्रशासन और धार्मिक संगठनों में भी हलचल तेज हो गई है। सुरक्षा, यातायात, स्वास्थ्य और जन-व्यवस्था से जुड़ी योजनाएं तैयार की जा रही हैं।