ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
दिनांक – 31 अगस्त 2025
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2082
शक संवत – 1947
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ऋतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – अष्टमी रात्रि 9:53 तक, तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र – अनुराधा शाम 3:59 तक, तत्पश्चात ज्येष्ठा
योग – वैधृति शाम 3:43 तक, तत्पश्चात विष्कंभ
राहुकाल – शाम 4:30 से 6:00 तक
सूर्योदय – प्रातः 5:43
सूर्यास्त – संध्या 6:17
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत / पर्व विवरण
- श्री राधा अष्टमी
- महालक्ष्मी व्रत आरंभ
- गौरी-आवाहन
विशेष जानकारी
- अष्टमी तिथि
- रविवार
- स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करने से ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
अनुष्ठान और विशेष साधना (31 अगस्त से 14 सितम्बर तक) महालक्ष्मी पूजन एवं श्री सूक्त पाठ करें – उन्नति और समृद्धि में वृद्धि होगी।
जीवन में शांति और आरोग्यता हेतु प्रयोग
यदि अशांति मिटानी हो:
दोनों नथुनों से गहरी श्वास लें, ‘ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः’ मंत्र का जप करें और फिर फूँक मारकर अशांति को बाहर निकालने की कल्पना करें।
यह प्रयोग विशेषतः रात्रि के अंतिम प्रहर (जब तारे नहीं दिखते, चंद्रमा नहीं होता और सूर्य का उदय बाकी हो) में करें। यह मंत्रसिद्धि योग का समय होता है।
निरोगता के लिए: ‘नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||’ इस मंत्र का 10 बार जप करें और हर बार ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें।
मनोकामनापूर्ति योग
देवी भागवत के अनुसार भाद्रपद शुक्ल नवमी को यदि कोई साधक जगदंबा का पूजन करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
उस दिन निम्न मंत्रों का जप करें:
- ॐ अम्बिकायै नमः
- ॐ श्रीं नमः
- ॐ ह्रीं नमः
- ॐ पार्वत्यै नमः
- ॐ गौर्यै नमः
- ॐ शंकरप्रियायै नमः
कुछ समय ध्यानपूर्वक बैठें और मां से प्रार्थना करें: “मुझे गुरुचरणों में श्रद्धा मिले, भक्ति बढ़े, निष्ठा एवं उपासना में स्थिरता आए।”
विशेष तिथि: 01 सितम्बर 2025, सोमवार – भाद्रपद मास, शुक्ल नवमी तिथि।