अमेरिकी नागरिक $75,000 कमाता है, जबकि औसत ग्रीन कार्ड धारक $66,000 कमाता है
वॉशिंगटन,संवाददाता : अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड ल्यूटनिक ने संकेत दिए हैं कि ट्रंप प्रशासन आने वाले समय में एच1बी वीजा और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में बड़े बदलाव करने की योजना पर काम कर रहा है। उन्होंने मौजूदा एच1बी प्रणाली को “घोटाला” बताते हुए इसकी आलोचना की और कहा कि अब समय आ गया है कि अमेरिकी नौकरियों को अमेरिकी नागरिकों को दिया जाए।
एच1बी प्रणाली को बताया ‘बहुत बुरा’
फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में ल्यूटनिक ने कहा: मैं एच1बी कार्यक्रम में बदलाव की प्रक्रिया में शामिल हूं। हम उस कार्यक्रम को बदलने पर काम कर रहे हैं, क्योंकि वह बहुत बुरा है। एच1बी वीजा अमेरिका का एक गैर-आप्रवासी वीजा प्रोग्राम है, जिससे विशेष रूप से भारतीय आईटी पेशेवरों को सबसे अधिक लाभ मिलता है। इसी को लेकर ल्यूटनिक ने कहा कि मौजूदा प्रणाली में अमेरिकियों की नौकरियां विदेशी कर्मचारियों को दी जा रही हैं, जो अब स्वीकार्य नहीं है।
ग्रीन कार्ड सिस्टम में भी बदलाव के संकेत
ल्यूटनिक ने आगे कहा कि ग्रीन कार्ड प्रक्रिया, जिसके माध्यम से अमेरिका में स्थायी निवास मिलता है, उसमें भी बदलाव लाने की जरूरत है। औसत अमेरिकी नागरिक $75,000 कमाता है, जबकि औसत ग्रीन कार्ड धारक $66,000 कमाता है। हम जानना चाहते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है, — ल्यूटनिक उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप प्रशासन अब “गोल्ड कार्ड” योजना लाने की दिशा में भी विचार कर रहा है, जिसके तहत अमेरिका “अच्छे और योग्य लोगों” का चयन करेगा।
रॉन डेसेंटिस का भी बयान
फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस ने भी एच1बी वीजा की आलोचना करते हुए कहा: एच1बी वीजा पूरी तरह से घोटाला बन चुका है। कई कंपनियां सिस्टम के साथ खेल रही हैं — एक तरफ वे अमेरिकियों को नौकरी से निकाल रही हैं और दूसरी तरफ एच1बी वीजा के तहत नए विदेशी कर्मचारियों की भर्ती और वीजा नवीनीकरण भी कर रही हैं।
प्रभाव और प्रतिक्रियाएं
इन बयानों के बाद अमेरिका में रहने वाले हजारों भारतीय आईटी पेशेवरों और ग्रीन कार्ड के इंतजार में बैठे लोगों में चिंता बढ़ गई है। हालांकि अभी तक आधिकारिक रूप से किसी बदलाव की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि 2025 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनज़र ट्रंप प्रशासन की नीति पहले से अधिक राष्ट्रवादी और सख्त हो सकती है।