सत्य के मार्ग पर चलना ही सफल जीवन का रहस्य, करबला के दर्दनाक मसायब सुनकर छलके आंसू

बाराबंकी, संवाददाता : इंसान अपनी इच्छाओं पर संयम रखे, बुराइयों से बचे और सच्चाई के रास्ते पर चले – यही जीवन की असली सफलता है। ज़ालिम लोग बहादुर नहीं होते, असली ताक़त और हिम्मत केवल हुसैनियत से हासिल होती है। यह विचार मौलाना रज़ा मुराद ने मरहूम शुजाअत हुसैन इब्ने नाज़िम हुसैन की चालीसवें की मजलिस में व्यक्त किए।
मौलाना ने कहा कि हुसैनी मिज़ाज रखने वाले लोग कभी भी झूठे खुदाओं के सामने सिर नहीं झुकाते। जो शुजाअत हुसैन के दर से मिलती है, वह केवल अल्लाह की इबादत में सिर झुकाने की ताक़त देती है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर अली के मुकाबले में कुरआन को भी ऊंचा कर दिया जाए और उसका इस्तेमाल धोखे के लिए हो, तो वह भी फ़ितना कहलाता है। इसलिए इंसान को अपनी सोच अल्लाह की रज़ा के मुताबिक बनानी चाहिए।
आख़िर में मौलाना ने करबला वालों के दर्दनाक मसायब पेश किए, जिन्हें सुनकर मौजूद अज़ादारों की आंखें नम हो गईं। मजलिस से पहले डॉ. रज़ा मौरान्वी, कशिश संडीलवी, साजिद बहराइची, अजमल किन्तूरी, अहमद रज़ा, हाजी सरवर अली करबलाई और इब्राहीम सल्लमहू ने नज़रान-ए-अक़ीदत पेश किया। मजलिस की शुरुआत मौलाना हिलाल अब्बास ने तिलावत-ए-कुरआन से की। अंत में बानिये मजलिस ने सभी अज़ादारों और मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।