बेलागंज सीट से इस परंपरा में पहली बार लगी है सेंध
पटना,संवाददाता : बिहार की राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला कोई नई बात नहीं है, लेकिन गया जिला इसका सबसे ठोस उदाहरण बनकर उभर रहा है। जिले की 10 विधानसभा सीटों में से 6 पर बीते 20 से 35 वर्षों से एक ही परिवार या व्यक्ति का दबदबा कायम है। राजनीतिक दल इन क्षेत्रों में जिताऊ चेहरों को बदलने का जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं, जिससे नए नेताओं को उभरने का मौका नहीं मिल पा रहा है। हालांकि बेलागंज सीट से इस परंपरा में पहली बार सेंध लगी है।
गया शहरी: 35 साल से प्रेम कुमार का एकछत्र राज
गया शहरी विधानसभा सीट पर 1990 से अब तक लगातार प्रेम कुमार का ही दबदबा रहा है। भाजपा के दिग्गज नेता प्रेम कुमार इस सीट से लगातार सात बार जीत चुके हैं। इस बार भी पार्टी ने भले ही प्रत्याशी घोषित नहीं किया हो, लेकिन संभावित उम्मीदवार के तौर पर प्रेम कुमार का नाम ही सबसे आगे है।
बेलागंज: टूटी परंपरा, बदला समीकरण
बेलागंज सीट पर सुरेंद्र यादव आठ बार विधायक रह चुके हैं। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव में जदयू की मनोरमा देवी ने इस सीट पर जीत दर्ज कर नई इबारत लिखी और परिवारवादी परंपरा को तोड़ा।
अतरी: एक सीट, एक ही परिवार
अतरी विधानसभा सीट 1995 से यादव परिवार के नियंत्रण में रही है। राजेंद्र यादव, उनकी पत्नी कुंती देवी और अब बेटा अजय यादव – तीनों इस सीट पर बारी-बारी से विधायक रह चुके हैं। 2020 में अजय यादव ने जदयू की मनोरमा देवी को हराया था।
वजीरगंज: अवधेश सिंह और पुत्र का दावा
वजीरगंज में अवधेश कुमार सिंह का प्रभाव 1985 से 2015 तक बना रहा। कांग्रेस से विधायक रह चुके अवधेश सिंह के बेटे डॉ. शशि शेखर 2020 में चुनाव हार गए, लेकिन परिवार की राजनीतिक सक्रियता बनी हुई है।
इमामगंज: मांझी और चौधरी के बीच मुकाबला
उदय नारायण चौधरी यहां पांच बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन 2020 में वे जीतन राम मांझी से चुनाव हार गए थे। 2024 में मांझी के लोकसभा जाने के बाद उनकी बहू दीपा मांझी ने उपचुनाव में जीत दर्ज की, जिससे यह सीट फिर उसी परिवार के पास लौट आई।
बाराचट्टी: भगवती देवी की विरासत
तीन बार विधायक रहीं भगवती देवी की राजनीतिक विरासत को उनकी बेटी समता देवी ने आगे बढ़ाया, जो 2015 में जीतीं, लेकिन 2020 में जीतन राम मांझी की समधन ज्योति देवी से हार गईं। इस सीट पर भी वर्षों तक एक ही परिवार का वर्चस्व रहा है।