ज्योतिषाचार्य: डॉ. उमाशंकर मिश्रा
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
अयन: दक्षिणायन
ऋतु: वर्षा ऋतु
मास: भाद्रपद
पक्ष: कृष्ण
तिथि: एकादशी (सायं 03:47 तक), तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र: आर्द्रा (रात्रि 2:14 तक), तत्पश्चात पुनर्वसु
योग: वज्र (रात्रि 11:29 तक), तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल: सायं 03:00 से 04:30 तक
सूर्योदय: प्रातः 05:35
सूर्यास्त: सायं 06:25
दिशाशूल: उत्तर दिशा
व्रत एवं पर्व:
- अजा एकादशी व्रत
- मंगलागौरी पूजन
विशेष जानकारी:
- श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ आज विशेष पुण्यदायक है।
- राम नाम का जाप:
“राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं, राम नाम वरानने।” - एकादशी को बाल नहीं कटवाना चाहिए।
- चावल और साबूदाना का सेवन वर्जित है।
- आँवले के रस से स्नान करने से पापों का नाश होता है।
अजा एकादशी व्रत विशेष
आज, 19 अगस्त 2025 (मंगलवार) को अजा एकादशी है।
व्रत का पारण 20 अगस्त, बुधवार को प्रातः 08:00 से 10:30 के मध्य करें।
यह व्रत समस्त पापों का नाश करता है। इसका माहात्म्य पढ़ने और सुनने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।
व्यतिपात योग
दिनांक: 20 अगस्त 2025 (बुधवार)
इस योग में किया गया जप, पाठ, प्राणायाम और साधना लाख गुना फलदायी होती है।
वाराह पुराण के अनुसार, भगवान सूर्यनारायण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
प्रदोष व्रत
तिथि: 20 अगस्त 2025 (बुधवार) – कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी
यह व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए किया जाता है।
व्रत एवं पूजा विधि:
- प्रातः स्नान के उपरांत शिव, पार्वती और नंदी का पंचामृत व गंगाजल से अभिषेक करें।
- बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची अर्पित करें।
- दिनभर निराहार या फलाहार रखें।
- सायंकाल पुनः पूजा कर, घी व शक्कर मिले सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
उपाय: प्रातःकाल तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य दें, जिसमें आकड़े के फूल अवश्य मिलाएं। यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस उपाय से भगवान शिव और सूर्यदेव दोनों की कृपा प्राप्त होती है तथा सौभाग्य की वृद्धि होती है।