भारत पर व्यापार संबंधी 25 प्रतिशत टैरिफ पहले से ही लागू था
नई दिल्ली,संवाददाता : अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत एकतरफा टैरिफ के खिलाफ अब चीन ने भारत के रुख का समर्थन किया है। चीन का कहना है कि भारत की संप्रभु विदेश नीति पर किसी भी तरह का दबाव या हस्तक्षेप अस्वीकार्य है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया था। इससे पहले भारत पर व्यापार संबंधी 25 प्रतिशत टैरिफ पहले से ही लागू था। इस तरह कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है।
चीनी दूतावास की प्रवक्ता का बयान
दिल्ली स्थित चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक अंग्रेज़ी अख़बार के संपादकीय लेख को साझा करते हुए लिखा: भारत की संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और इसकी विदेश नीति के विकल्पों में अन्य देशों द्वारा हेरफेर नहीं किया जा सकता है, चाहे भारत के साथ उनके संबंध कितने भी महत्वपूर्ण क्यों न हों।
भारत के विदेश मंत्रालय का बयान
इस लेख में भारत के विदेश मंत्रालय के उस बयान का भी ज़िक्र किया गया है जो सोमवार को जारी हुआ था। इसमें भारत ने रूस से अपने रणनीतिक संबंधों के चलते अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा निशाना बनाए जाने पर आपत्ति जताई थी। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा था कि: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा, रणनीतिक साझेदारी और राष्ट्रीय हित के आधार पर अपने निर्णय लेता है और लेता रहेगा।
भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ती खटास
भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में हाल के हफ्तों में तनाव की स्थिति पैदा हुई है। ट्रंप प्रशासन द्वारा रूस से तेल खरीद पर आपत्ति जताना और फिर टैरिफ बढ़ाना, भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर दबाव डालने के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी दबाव में अपनी रणनीतिक साझेदारियों का बलिदान नहीं देगा।
विश्लेषण: चीन की रणनीति क्या है?
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन द्वारा भारत के पक्ष में खड़ा होना एक रणनीतिक दांव हो सकता है। जहां एक ओर भारत और अमेरिका के बीच दूरी बढ़ रही है, वहीं चीन एशियाई सहयोग और ब्रिक्स जैसे मंचों के जरिए भारत के करीब आने की कोशिश कर रहा है। चीन का यह समर्थन भले ही राजनयिक प्रतीकात्मकता हो, लेकिन यह भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकता है।