ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
पंचांग विवरण:
- विक्रम संवत: 2082
- शक संवत: 1947
- अयन: दक्षिणायन
- ऋतु: वर्षा ऋतु
- मास: भाद्रपद
- पक्ष: कृष्ण
- तिथि: तृतीया प्रातः 9:51 तक, तत्पश्चात चतुर्थी
- नक्षत्र: पूर्वभाद्रपद दोपहर 2:01 तक, तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद
- योग: सुकर्मा रात्रि 9:51 तक, तत्पश्चात धृति
- राहुकाल: अपराह्न 3:00 से 4:30 तक
- सूर्योदय: प्रातः 5:30
- सूर्यास्त: सायं 6:30
- दिशाशूल: उत्तर दिशा में
व्रत एवं पर्व:
- कजरी तीज
- बहुला चौथ
- संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय: रात्रि 8:37)
- अंगारकी चतुर्थी – मंगलवारी चतुर्थी (प्रातः 9:51 से 13 अगस्त को प्रातः 7:56 तक)
- मंगला गौरी पूजा
विशेष निर्देश:
- चतुर्मास में ताँबे और काँसे के पात्रों का प्रयोग वर्जित माना गया है।
- पलाश की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक होता है।
आगामी पर्व:
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी – शनिवार, 16 अगस्त 2025
- जन्माष्टमी व्रत करने से सौ जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष लाभकारी होता है – गर्भ सुरक्षित रहता है एवं समय पर संतुलित प्रसव होता है।
- इस दिन किया गया जप अनंत गुना फलदायी होता है।
- भविष्य पुराण के अनुसार, यह व्रत अकाल मृत्यु से रक्षा करता है और गर्भपात नहीं होता।
- एकादशी की तुलना में जन्माष्टमी के दिन अधिक संयम आवश्यक है।
- बाजारू वस्तुएँ, चाय, नाश्ता आदि से परहेज करें।
- इस दिन आत्मिक उपवास करें – परमात्मा का रस ही पियें, अहंकार का अंत करें।