ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
दिनांक: 11 अगस्त 2025, सोमवार
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
अयन: दक्षिणायन
ऋतु: वर्षा
मास: भाद्रपद
पक्ष: कृष्ण
तिथियाँ व नक्षत्र
- तिथि: द्वितीया प्रातः 11:25 तक, तत्पश्चात तृतीया
- नक्षत्र: शतभिषा दोपहर 2:52 तक, तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
- योग: अतिगण्ड रात्रि 12:19 तक, तत्पश्चात सुकर्मा
अन्य जानकारी
- राहुकाल: प्रातः 7:30 से 9:00 तक
- सूर्योदय: प्रातः 5:29
- सूर्यास्त: सायं 6:31
- दिशाशूल: पूर्व दिशा में
- व्रत पर्व विवरण: पंचक
- विशेष: द्वितीया
बहुला चतुर्थी – 12 अगस्त 2025 (मंगलवार)

व्रत का महत्व:
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को “बहुला चतुर्थी” या “बहुला चौथ” कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के लिए व्रत रखा जाता है। यह व्रत संतान सुख, धन वृद्धि, और मानसिक-व्यावहारिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
व्रत विधि:
- प्रातः स्नान करके गणेश पूजन करें
- व्रत का संकल्प लें
- धूप, दीप, गंध, पुष्प, प्रसाद से पूजन करें
- चंद्रमा उदय से पूर्व कम बोलें
- संध्या समय पुनः स्नान कर चंद्र पूजन करें
- चंद्रमा को शंख में दूध, दूर्वा, सुपारी आदि से अर्घ्य दें
कजरी तीज – 12 अगस्त 2025

महत्व:
कजरी तीज (या सतवा तीज) भाद्रपद कृष्ण तृतीया को मनाई जाती है। यह तिथि माता पार्वती को समर्पित है। महिलाएं भगवान शिव-पार्वती की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
पर्व की विशेषताएं:
- झूला उत्सव और लोकगीतों की परंपरा
- नवविवाहिताएं पति से छल, झूठ और निंदा का त्याग करने का संकल्प लेती हैं
- 16 गांठों वाला धागा और मिट्टी की गौरी प्रतिमा से पूजा
मंगलवारी चतुर्थी – 12 अगस्त 2025, मंगलवार

काल: सुबह 9:51 से 13 अगस्त सुबह 7:56 तक
विशेष: इस दिन किया गया जप, संकल्प, मौन और यज्ञ अत्यंत फलदायी माना गया है।
चन्द्रमा दर्शन: रात्रि 8:37 पर
उपचार (यदि जीवन में लगातार कष्ट हो):
संकष्ट चतुर्थी के दिन प्रातः ये 6 मंत्र बोलें और श्रीगणेश को प्रणाम करें:
- ॐ सुमुखाय नमः
- ॐ दुर्मुखाय नमः
- ॐ मोदाय नमः
- ॐ प्रमोदाय नमः
- ॐ अविघ्नाय नमः
- ॐ विघ्नकरत्र्येय नमः
इन मंत्रों के उच्चारण से जीवन की समस्याएं, विघ्न और मानसिक बाधाएं दूर होती हैं।




















