सीएचओ को मिली जिम्मेदारी, इंकार करने वालों को स्थानीय प्रभावशाली लोगों की मदद से मनाया जाएगा
लखनऊ,संवाददाता : प्रदेश को वर्ष 2027 तक फाइलेरिया मुक्त बनाने के संकल्प के तहत स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा निर्णय लिया है। अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर (आम) के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को अपने क्षेत्र के हर पात्र व्यक्ति को फाइलेरिया रोधी दवा सामने खिलाने की जिम्मेदारी दी गई है। 10 अगस्त से शुरू हो रहे ‘सर्वजन दवा सेवन (एमडीए)’ अभियान को लेकर शुक्रवार को एक वर्चुअल कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के 27 जिलों के 195 ब्लॉकों के सभी सीएचओ शामिल हुए।
पिछले अभियान की समीक्षा अनिवार्य
कार्यशाला में राज्य फाइलेरिया अधिकारी डॉ. ए.के. चौधरी ने निर्देश दिए कि सीएचओ अपने क्षेत्र में हुए पिछले एमडीए राउंड की स्थिति की समीक्षा अवश्य करें। यह जाना जाए कि किन क्षेत्रों में कितने लोगों ने दवा खाने से इंकार किया और कहां कवरेज कम रहा। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में इंकार की दर अधिक थी, वहां स्थानीय प्रभावशाली व्यक्तियों की मदद लेकर लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रेरित करें।
माइक्रोप्लानिंग और निगरानी पर जोर
डॉ. चौधरी ने स्पष्ट किया कि दवा केवल बांटनी नहीं है, बल्कि सामने खिलानी है। दवा खाली पेट नहीं खिलानी है। सीएचओ को रोज़ाना निगरानी करनी होगी कि कहां-कहां पर दवा का सेवन कम हो रहा है, और वहां पुनः जाकर प्रयास करने होंगे।
कार्यशाला में प्रतिभाग:
- सीएचओ जागृति श्रीवास्तव (कानपुर देहात) ने दवा से इंकार करने वालों को मनाने के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया।
- एनएचएम के उपमहाप्रबंधक अताउर रहमान, पाथ संस्था से डॉ. शोएब अनवर, और डब्ल्यूएचओ के डॉ. तनुज शर्मा ने अपने अनुभव साझा किए और जमीनी कार्य पद्धतियों पर मार्गदर्शन दिया।
सरकार की प्राथमिकता:
स्वास्थ्य विभाग की रणनीति यह सुनिश्चित करने की है कि कोई भी पात्र व्यक्ति फाइलेरिया की दवा खाने से वंचित न रह जाए। विभाग की सख्त हिदायत है कि केवल रिपोर्टिंग नहीं, बल्कि वास्तविक दवा सेवन की पुष्टि होनी चाहिए।