ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
- विक्रम संवत: 2082
- शक संवत: 1947
- अयन: दक्षिणायन
- ऋतु: वर्षा ऋतु
- मास: श्रावण
- पक्ष: कृष्ण
- तिथि: तृतीया रात्रि 12:50 तक, तत्पश्चात चतुर्थी
- नक्षत्र: श्रवण सुबह 7:38 तक, तत्पश्चात धनिष्ठा
- योग: प्रीति रात्रि 7:24 तक, तत्पश्चात आयुष्मान
- राहुकाल: शाम 4:30 से 6:00 बजे तक
- सूर्योदय: प्रातः 5:16 बजे
- सूर्यास्त: सायं 6:44 बजे
- दिशाशूल: पश्चिम दिशा में
व्रत एवं पर्व
- पंचक आरंभ: सायं 06:53 बजे
- जया पार्वती व्रत पारणा
विशेष जानकारी
- तृतीया
- चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करें। अन्य धातुओं के पात्र उचित माने गए हैं।
- पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक माना गया है।
उपाय : विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए सोलह सोमवार व्रत करें।
चतुर्थी तिथि विशेष – संकष्ट चतुर्थी (14 जुलाई 2025, सोमवार)
- चंद्रोदय समय: रात्रि 09:29 बजे
- शिवपुराण के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा प्रातः करें और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।
- पूजन मंत्र:
- ॐ गं गणपते नमः
- ॐ सोमाय नमः
महत्त्व
- चतुर्थी तिथि के अधिष्ठाता भगवान गणेश हैं।
- हर मास में दो चतुर्थियाँ होती हैं:
- कृष्ण पक्ष की चतुर्थी: संकष्ट चतुर्थी
- शुक्ल पक्ष की चतुर्थी: विनायक चतुर्थी
- शिवपुराण के अनुसार:
“महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके।
पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥”
अर्थात कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर की गई गणपति पूजा पापों का नाश करती है और उत्तम फल देती है।
संकटों से मुक्ति हेतु – छः गणपति मंत्र
यदि जीवन में कष्ट, समस्याएँ बार-बार आ रही हों, तो कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को प्रातःकाल भगवान गणेश का स्मरण करते हुए निम्न छह मंत्रों से प्रार्थना करें:
- ॐ सुमुखाय नमः – सुंदर मुख और भक्ति प्रदान करें।
- ॐ दुर्मुखाय नमः – दुष्टों से रक्षा करें।
- ॐ मोदाय नमः – प्रसन्नता दें।
- ॐ प्रमोदाय नमः – आनंद और आलस्य से मुक्ति प्रदान करें।
- ॐ अविघ्नाय नमः – विघ्नों को दूर करें।
- ॐ विघ्नकरत्र्येय नमः – विघ्नों का नाश करें।