ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
अयन: दक्षिणायन
ऋतु: वर्षा ऋतु
मास: आषाढ़
पक्ष: शुक्ल
तिथि: पूर्णिमा रात्रि 1:49 तक, तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र: मूल नक्षत्र सुबह 5:16 तक, तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा
योग: इन्द्र रात्रि 10:55 तक, तत्पश्चात वैधृति
राहुकाल: दोपहर 1:30 से शाम 3:00 तक
सूर्योदय: सुबह 5:15 बजे
सूर्यास्त: शाम 6:45 बजे
दिशाशूल: दक्षिण दिशा में
व्रत व पर्व
- व्रत पूर्णिमा
- आषाढ़ी पूर्णिमा
- व्यास पूर्णिमा
- गुरु पूर्णिमा
- ऋषिप्रसाद जयंती
- संयासी चातुर्मास आरंभ
विशेष: पूर्णिमा
गुरु पूजन विशेष
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति पूजामूलं गुरोः पदम्।
मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वं मम देव देव॥
ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं।
द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्॥
एकं नित्यं विमलं अचलं सर्वधीसाक्षीभूतम्।
भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि॥
मानस पूजन विधि
गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर साधक अपने गुरु के श्रीचरणों में षोडशोपचार पूजन करें।
भावना करें:
हम अपने मन, वचन, शरीर से गुरुदेव की पूजा कर रहे हैं।
उनके श्रीचरणों को सर्वतीर्थ जल से स्नान करा रहे हैं,
चंदन से तिलक कर रहे हैं, फूलमाला अर्पित कर रहे हैं।
हम अपनी सभी इन्द्रियाँ (ज्ञानेन्द्रियाँ, कर्मेन्द्रियाँ)
तथा मन को उनके श्रीचरणों में समर्पित कर रहे हैं।
कायेन वाचा मनसेन्द्रियैवा
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात्।
करोमि यद् यद् सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि॥
उपसंहार
इस प्रकार ब्रह्मवेत्ता सदगुरु की कृपा और ज्ञान से हृदय में आत्मिक शांति, निर्भयता, और आनंद का संचार होता है। उनकी वाणी, कृपा और उपस्थिति से जीवन में प्रकाश आता है।
ॐ आनंद | ॐ आनंद | ॐ आनंद