कहा-ग्लोबल साउथ की आवाज अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी
दिल्ली,संवाददाता : शिखर सम्मेलन के दौरान बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और कृत्रिम मेधा पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा: ब्रिक्स समूह की विविधता और बहुध्रुवीयता के प्रति साझा प्रतिबद्धता ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। हमें विचार करना होगा कि ब्रिक्स एक न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था में कैसे मार्गदर्शक बन सकता है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन और ‘एक्स’ पोस्ट में जोर दिया कि: ब्रिक्स की विश्वसनीयता तभी बढ़ेगी जब हम पहले अपने आंतरिक तंत्र को सुदृढ़ करेंगे। खासकर जब हम बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की बात करते हैं। मोदी ने ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि मांग आधारित निर्णय प्रक्रिया, लंबी अवधि की वित्तीय स्थिरता और मजबूत क्रेडिट रेटिंग प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने ‘ग्लोबल साउथ’ की अपेक्षाओं की पूर्ति हेतु कृषि और विज्ञान में नवाचार साझा करने पर बल दिया और भारत में स्थापित ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच को एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने ब्रिक्स विज्ञान एवं अनुसंधान भंडार के गठन का प्रस्ताव भी रखा। मोदी ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकियों को हथियार बनाए जाने की आशंका पर चिंता जताई और कहा: हमें सुनिश्चित करना होगा कि कोई देश इन संसाधनों का दुरुपयोग न करे।
प्रधानमंत्री ने कृत्रिम मेधा के मानवीय मूल्यों पर आधारित संचालन की पैरवी की। भारत सभी के लिए एआई’ के मंत्र के तहत कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और शासन में AI का उपयोग कर रहा है। हम मानते हैं कि से जुड़ी चिंताओं का समाधान और नवोन्मेष को बढ़ावा, दोनों को बराबर प्राथमिकता मिलनी चाहिए।” मूलतः ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना ब्रिक्स अब विस्तारित होकर मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया को शामिल कर चुका है। 2025 में इंडोनेशिया इसका नया सदस्य बना है। 17वें शिखर सम्मेलन में सभी सदस्य देशों के साथ-साथ विशेष आमंत्रित देशों और भागीदारों ने भी भाग लिया।