आवेदनकर्ता दूसरे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को अधिक तवज्जो देने लगे हैं
लखनऊ,संवाददाता : व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की भीड़ में परंपरागत डिप्लोमा कोर्स पीछे छूटते जा रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में विदेशी भाषाओं के डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेने वालों का टोंटा लगा है। धीरे-धीरे विदेशी भाषा सीखने वाले छात्रों की संख्या विलुप्त होती जा रही है। जर्मन, फ्रेंच, अरबी जैसी विदेशी भाषाओं से छात्रों ने मुंह फेर लिया है। जिसके कारण गत दो वर्षो से डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का संचालन नहीं हो पा रहा है। नई शिक्षा नीति लागू होने से पहले इन डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेने वालों की तादात ठीकठाक हुआ करती थी लेकिन वर्ष 2021 के बाद आवेदनकर्ता दूसरे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को अधिक तवज्जो देने लगे हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले छात्रों के लिए एक समय एक अतिरिक्त भाषा का ज्ञान आवश्यक हुआ करता था। लेकिन नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद और लगातार बदलते शैक्षिक परिदृश्य में कई डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में सन्नाटा छाया हुआ है और अब यह बंद होने के कगार पर हैं। विश्वविद्यालय ने अपने परास्नातक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए वर्ष 2021 में संशोधन किया था। संशोधन के अनुसार डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में निर्धारित सीटों के सापेक्ष 60 प्रतिशत प्रवेश होने पर ही संचालन किया जाना था। इस नियम के बाद करीब दो दर्जन डिप्लोमा कोर्स के संचालन पर संकट छा गया। कारण कि निर्धारित मानक के अनुसार 60 प्रतिशत छात्र प्रवेश ही नहीं ले रहे हैं।