ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र
वर्ष विवरण:
- विक्रम संवत: 2082
- शक संवत: 1947
- अयन: दक्षिणायन
- ऋतु: वर्षा ऋतु
- मास: आषाढ़
- पक्ष: शुक्ल
तिथि: दशमी शाम 06:28 तक, तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र: स्वाती रात्रि 8:18 तक, तत्पश्चात विशाखा
योग: सिद्ध रात्रि 9:47 तक, तत्पश्चात साध्य
राहुकाल: प्रातः 09:00 से 10:30 तक
सूर्योदय: प्रातः 5:14
सूर्यास्त: संध्या 6:46
दिशाशूल: पूर्व दिशा
व्रत एवं पर्व विशेष:
देवशयनी एकादशी: 05 जुलाई शनिवार को शाम 06:28 से 06 जुलाई रविवार रात्रि 8:22 तक एकादशी तिथि है।व्रतधारियों के लिए पारण: 07 जुलाई सोमवार को प्रातः 8:00 से 10:30 के मध्य करें।
अनुशंसा:
- एकादशी व्रतधारी दीप प्रज्वलित करके विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- यदि संभव न हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप करें।
- गृह कलह शांत करने हेतु विष्णु सहस्त्रनाम का संकल्पपूर्वक पाठ करें।
विद्यार्थियों हेतु निर्देश:
- चातुर्मास में सारस्वत्य मंत्र का 170 माला जप करें।
- मौन, ध्यान और एकांत साधना पर बल दें।
- स्वासों की गणना करते हुए एकाग्रता बढ़ाएँ।
- निरंतर साधना से नौकरी आपके पीछे दौड़ेगी, आपको भटकना नहीं पड़ेगा।
चातुर्मास की विशेष बातें:
- सद्धर्म, सत्संग, संत सेवा, भगवद पूजन और योग्य पात्र को दान – अत्यंत पुण्यकारी।
- भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य पालन, मौन, ध्यान, जप, उपवास – लाभकारी।
- आँवला मिश्रित जल से स्नान करने से तेज बढ़ता है।
- ताँबे के पात्र में भोजन न करें, पलाश पत्र पर भोजन से ब्रह्मभाव की प्राप्ति।
- परनिंदा का त्याग करें।
- विवाह, सकाम यज्ञ आदि वर्जित – साधना काल है।
- पद्म पुराण अनुसार भगवान के शयन काल में जप व कीर्तन से करोड़ों गुना फल प्राप्त होता है।
- ‘पुरुष सूक्त’ का विष्णु जी के समक्ष पाठ – बुद्धिशक्ति में वृद्धि लाता है।
विशेष ज्ञान: ब्रह्म पुराण में शनिदेव कहते हैं कि जो मनुष्य शनिवार को नियमित रूप से पीपल वृक्ष का स्पर्श करता है, उसे ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होती और उसके सभी कार्य सिद्ध होते हैं।