केवल ईशान कोण को ठीक करने मात्र से नहीं मिलती पूर्ण समृद्धि नहीं मिलती
डॉ. उमाशंकर मिश्रा, लखनऊ : किसी भी व्यापार, व्यवसाय या सार्वजनिक जीवन में यश और प्रसिद्धि की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी भवन की दक्षिण दिशा यश और प्रसिद्धि का प्रमुख केंद्र होती है। यदि इस दिशा को वास्तु नियमों के अनुसार विकसित किया जाए, तो यह व्यक्ति को सामाजिक, व्यावसायिक और राजनीतिक सफलता की ओर अग्रसर कर सकती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा के अनुसार, दक्षिण दिशा का तत्व अग्नि है। इसलिए इस दिशा में अग्नि तत्व को बढ़ाने के उपाय करना आवश्यक है। उन्होंने यश और प्रसिद्धि प्राप्त करने हेतु निम्न वास्तु उपाय सुझाए हैं:
दक्षिण दिशा को प्रभावशाली बनाने के उपाय:
- कार्यालय, बैठक कक्ष या स्वागत कक्ष की दक्षिण दीवार पर तेज प्रकाश वाला लाल रंग का बल्ब लगाएं।
- दक्षिण दीवार पर उगते हुए सूर्य की फोटो लगाएं।
- स्वागत कक्ष के दक्षिण में अग्निकुंड या कृत्रिम फायर प्लेस बनाएं।
- दक्षिण दिशा में बड़े वृक्ष लगाएं, क्योंकि अग्नि तत्व को विकसित करने में लकड़ी सहायक होती है।
- कमरे की दक्षिण दीवार पर लकड़ी की सजावटी वस्तुएं, सोफा या डाइनिंग टेबल रखें।
- बैठक कक्ष की दक्षिण दिशा में इनडोर प्लांट और लाल रंग का कारपेट लगाएं।
- दक्षिण दिशा की खिड़की पर लाल रंग के परदे लगाएं।
जिन बातों से बचना चाहिए:
- दक्षिण दिशा में जल तत्व जैसे मछलीघर, पानी की टंकी, कुआं, बोरिंग आदि न रखें। इससे अपयश और प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है।
- दक्षिण दिशा में सेप्टिक टैंक का निर्माण न करें। यदि हो चुका है तो उसे वायव्य कोण में स्थानांतरित करें।
- दक्षिण दीवार पर पानी के चित्र न लगाएं।
कुछ सरल उपाय:
- दक्षिण दिशा में लाल गुलाब के फूल सजाकर रखें। यह प्रसिद्धि प्राप्त करने का एक अत्यंत सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय है।
डॉ. मिश्रा बताते हैं कि उदारीकरण के पश्चात देश में समृद्धि तो आई, परन्तु अब लोग यश और प्रसिद्धि की भी आकांक्षा रखते हैं। फिल्म कलाकारों, राजनेताओं, माडल्स, गायकों, पत्रकारों, मिडिया समूहों, ज्योतिषियों, वास्तु विशेषज्ञों, बाबाओं, व्यापारियों और सीईओ आदि के लिए दक्षिण दिशा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इनका कार्यक्षेत्र सीधे-सीधे प्रसिद्धि से जुड़ा होता है।
वह कहते हैं कि केवल ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को ठीक करने मात्र से पूर्ण समृद्धि नहीं मिलती, जब तक कि दक्षिण दिशा को भी समुचित रूप से विकसित न किया जाए। क्योंकि इन वर्गों की समृद्धि, उनकी लोकप्रियता और सामाजिक छवि पर आधारित होती है।
नेता जब तक अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रसिद्ध नहीं होगा, तब तक अगला चुनाव नहीं जीत सकता। पार्टी तब तक सरकार नहीं बना सकती जब तक कार्यालय की दक्षिण दिशा में दोष उपस्थित हो। कलाकार को बड़े बैनर की फिल्म तभी मिलेगी जब दक्षिण दिशा में सौंदर्य और अग्नि तत्व मजबूत होगा। मीडिया की रेटिंग और गायक की लोकप्रियता भी इसी दिशा की शक्ति पर निर्भर करती है।