संस्कार, शौर्य और समरसता की प्रतीक बनीं महिलाएं

बाराबंकी,संवाददाता : “शस्त्र और शास्त्र दोनों का ज्ञान आवश्यक है, तभी होगा संपूर्ण विकास।” यह प्रेरणादायक संदेश मातृशक्ति केंद्रीय संयोजिका मीनाक्षी ताई ने सिटी कॉलेज में आयोजित दुर्गा वाहिनी के सात दिवसीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ग के पंचम दिवस पर बौद्धिक सत्र के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि महिलाएं केवल परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र की रीढ़ होती हैं।उन्होंने अहिल्या देवी होलकर और वीरांगना दुर्गावती जैसे उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि मातृशक्ति ने सदैव समाज और संस्कृति की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है।
आज भी सामाजिक, शैक्षिक, वैज्ञानिक, आर्थिक और सुरक्षा जैसे हर क्षेत्र में महिलाएं प्रभावी उपस्थिति दर्ज कर रही हैं।पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की संयोजिका कल्पना जी ने भारत के सांस्कृतिक इतिहास और मिशन सिंदूर जैसे प्रेरक उदाहरणों के माध्यम से बहनों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि दुर्गा वाहिनी की बहनें न केवल सेवा और सुरक्षा का प्रशिक्षण ले रही हैं, बल्कि सामाजिक जागरूकता की भी वाहक बन रही हैं। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश बाल कल्याण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी, प्रांत सह संयोजिका किरन सिंह, सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर विद्या रत्न द्विवेदी, और अनेक गणमान्य पदाधिकारी उपस्थित रहे। प्रशिक्षण वर्ग में 25 संगठनात्मक जिलों की युवतियां सहभागी बनीं।