सुहागिनें रखेंगी व्रत, करेंगी वट वृक्ष की पूजा
डॉ. उमाशंकर मिश्रा,लखनऊ : आज 26 मई 2025, सोमवार को वट सावित्री व्रत का पावन पर्व मनाया जा रहा है। सुहागिन महिलाएं आज विधिपूर्वक व्रत रखकर वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करेंगी और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करेंगी। यह व्रत सावित्री के दृढ़ संकल्प, पति-भक्ति और धर्म परायणता का प्रतीक माना जाता है।
व्रत का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सावित्री ने अपने तप, बुद्धि और पतिव्रता धर्म के बल पर यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे। तभी से यह व्रत “वट सावित्री व्रत” के रूप में मनाया जाता है।
व्रत कथा का संक्षिप्त विवरण
पौराणिक कथा के अनुसार मद्रदेश के राजा अश्वपति को कोई संतान नहीं थी। संतान की प्राप्ति के लिए उन्होंने यज्ञ कराया, जिससे उन्हें एक कन्या हुई—सावित्री। जब सावित्री विवाह योग्य हुई, उसने सत्यवान को पति रूप में चुना, जो कि एक दरिद्र वनवासी राजकुमार थे।
नारद मुनि ने सावित्री को पूर्वसूचना दी कि सत्यवान अल्पायु हैं, पर सावित्री अपने निर्णय से पीछे नहीं हटी। विवाह के एक वर्ष बाद जब सत्यवान की मृत्यु का दिन आया, तब वह उसके साथ वन में गई। सत्यवान की मृत्यु के बाद यमराज उसकी आत्मा को लेकर चल दिए, पर सावित्री भी पीछे-पीछे चलने लगी।
यमराज ने तीन वर मांगने का अवसर दिया:
- सास-ससुर को नेत्र ज्योति,
- खोया हुआ राज्य,
- सत्यवान से सौ पुत्रों की इच्छा।
तीसरे वरदान के साथ ही यमराज को सत्यवान को पुनर्जीवित करना पड़ा।
पूजा का शुभ समय और मुहूर्त
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 26 मई 2025, प्रातः 10:54 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई 2025, मंगलवार प्रातः 08:32 बजे
पूजन का सर्वोत्तम समय: 27 मई मंगलवार को सुबह 5:30 से 8:30 बजे तक वटवृक्ष की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
पूजन विधि संक्षेप में
- प्रातः स्नान कर घर और पूजा स्थल की सफाई करें।
- पूजन सामग्री में जल, रोली, मौली, धूप, चना, फल, फूल आदि एकत्र करें।
- वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करें।
- तीन बार वट वृक्ष की परिक्रमा करें और कच्चा सूत लपेटें।
- सावित्री-सत्यवान की प्रतिमा को टोकरी में रखकर कथा पढ़ें या सुनें।
- बायना निकालकर सास को अर्पण करें।
- सौभाग्यवती स्त्री का पूजन कर पान, सिंदूर, कुमकुम भेंट करें।
- अंत में ब्राह्मणों को वस्त्र, फल, दक्षिणा दान करें।
विशेष साधना और मंत्र जाप के लिए अमावस्या का उपयोग
जिनको विशेष जप, तंत्र-साधना या पितृ संबंधित अनुष्ठान करने हैं, वे आज 26 मई सोमवार को अमावस्या के प्रारंभ होते ही यह कर सकते हैं। सुबह 10:54 बजे से अमावस्या तिथि प्रारंभ हो रही है, जो 27 मई सुबह 8:32 तक रहेगी।