पुराणों के अनुसार इस दिन देवी-देवता भी प्रयाग में गंगा स्नान करके लौट जाते हैं अपने लोक
डॉ. उमाशंकर मिश्रा,लखनऊ : आज 12 फरवरी, बुधवार को माघ मास की पूर्णिमा है। इसे ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। इस दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं, जिसके कारण गंगाजल का स्पर्श मात्र भी मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति का अवसर देता है। इस दिन गंगा स्नान करना अत्यधिक पुण्यदायक माना जाता है। माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से न केवल पूरे माह का पुण्य मिलता है, बल्कि यह वर्षभर के पुण्य का भी कारण बनता है। पुराणों के अनुसार इस दिन देवी-देवता भी प्रयाग में गंगा स्नान करके अपने लोक को लौट जाते हैं, और इस दिन किए गए शुभ कार्यों से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
गंगा स्नान और पुण्य लाभ
पदमपुराण में उल्लेख है कि माघ मास में गंगा स्नान से भगवान विष्णु अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन गंगाजल का स्पर्श मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति दिलाता है। मत्स्य पुराण में भी वर्णन है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से दस तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन किया गया स्नान पापों और संतापों को नष्ट करता है और दैहिक, दैविक एवं भौतिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
दान और तर्पण का महत्व
इस दिन किया गया दान विशेष रूप से काले तिल और शीत निवारक वस्त्र का दान, धन और वंशवृद्धि का कारण बनता है। पितरों को तर्पण करना भी फलदायी माना गया है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और आयु एवं स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
माघ स्नान का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
माघ स्नान केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी है। इस समय ऋतु परिवर्तन होता है और नदी के जल में स्नान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। चंद्रमा का मन से संबंध होने के कारण माघ स्नान मानसिक शांति और पवित्रता के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आध्यात्मिक विकास होता है।
महत्वपूर्ण संदेश
माघी पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से संयम, स्नान, दान और तर्पण का है। इसे ध्यान में रखते हुए आज के दिन विशेष धार्मिक कार्य करें और पुण्य का लाभ प्राप्त करें।