युद्धविराम एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह सिर्फ पहली सीढ़ी है
दिल्ली,संवाददाता : इजरायली पत्रकार और लेखक गिदोन लेवी, जो अक्सर फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजरायली कब्जे और वहां मानवाधिकारों की स्थिति पर लेख लिखते हैं, हाल ही में जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) में नवतेज सरना, जो भारत के पूर्व राजदूत रह चुके हैं, के साथ एक सेशन में बातचीत की। बातचीत का केंद्र इजरायल पर सात अक्टूबर 2023 को हुए आतंकी हमले और उसके बाद के हालात थे। लेवी ने कहा, “सात अक्टूबर का दिन भयानक था। उसके बाद जो कुछ भी हुआ, वह इजराइल द्वारा किए गए कार्यों को उचित नहीं ठहराता।” उनका मानना है कि इजरायल केवल एक ही स्वर में बोल रहा है और किसी अन्य स्वर को सुनने के लिए तैयार नहीं है। यदि इजरायल ने फिलिस्तीनियों के साथ अलग तरह से व्यवहार किया होता, तो आज हालात अलग होते।
इजरायल सरकार की नीति पर कड़ी टिप्पणी
लेवी ने कहा कि इजरायल सरकार युद्धविराम के दूसरे और तीसरे चरण में जाने के पक्ष में नहीं है। उनका कहना था कि वर्तमान सरकार गाजा में युद्ध और सैन्य उपस्थिति को समाप्त नहीं करना चाहती, जिससे संघर्ष का समाधान और भी मुश्किल हो रहा है।
अमेरिका की भूमिका
अमेरिका के हालिया राष्ट्रपति के बारे में चर्चा करते हुए, लेवी ने कहा कि शुरुआत में उनसे शांति की उम्मीद की गई थी, लेकिन उनकी नीतियों ने जल्दी ही विवाद खड़ा कर दिया। विशेष रूप से, राष्ट्रपति द्वारा 15 से 20 लाख फिलिस्तीनियों को मिस्र और जॉर्डन में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया गया था, जिसको व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा। लेवी ने इसे ‘अमानवीय’ करार देते हुए कहा, “अगर अमेरिका इतना ही उदार है, तो वह इन फिलिस्तीनियों को अपने देश में क्यों नहीं बसाता? उन्हें उनकी जड़ों से उखाड़कर किसी और जगह बसाने की मानसिकता बेहद क्रूर है।”
संघर्ष का समाधान
इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर लेवी का कहना था कि युद्धविराम एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह सिर्फ पहली सीढ़ी है। आगे की प्रक्रिया बहुत जटिल होगी, जिसमें इजरायल, फिलिस्तीन, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका अहम होगी। यह देखना बाकी है कि क्या यह युद्धविराम स्थायी शांति में तब्दील हो पाएगा, या फिर यह सिर्फ एक अस्थायी विराम बनकर रह जाएगा।
संग्राम का भविष्य
लेवी की यह बातचीत इस संघर्ष की जटिलताओं और संभावित समाधान पर महत्वपूर्ण सवाल उठाती है। उनके विचारों से यह साफ है कि फिलिस्तीन और इजरायल के बीच शांति की राह अभी भी बहुत दूर है।