जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि ने दीक्षा देकर साध्वी बनाया था
प्रयागराज,संवाददाता : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के पहले स्नान से पहले जूना अखाड़े में 13 साल की एक बालिका राखी ने संन्यास लिया। जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि ने उसे दीक्षा दी और उसे साध्वी बना दिया। इस मामले में महंत कौशल गिरि को सात साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। शुक्रवार को रमता पंच की मौजूदगी में अखाड़े के शीर्ष पदाधिकारियों की पंचायत में यह निर्णय लिया गया। इस पंचायत में संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि, जूना अखाड़े के सभापति श्री महंत प्रेम गिरि, प्रवक्ता श्री महंत नारायण गिरि, मेला प्रभारी मोहन भारती, और सचिव महेश पुरी शामिल हुए। इस निर्णय के बाद, बालिका को घर भेज दिया गया और उसके माता-पिता ने कहा कि उनकी बेटी शुरू से साध्वी बनना चाहती थी।
राखी जो आगरा की रहने वाली है, को जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि ने दान के रूप में प्राप्त किया था। राखी को साध्वी की वेशभूषा में देखा गया था और यह दावा किया गया था कि संन्यासिनी की दीक्षा के बाद उसे महाकुंभ में धर्म ध्वजा पर संस्कार कराया जाएगा। साथ ही, परंपरा के अनुसार उसकी पिंडदान भी किया जाने वाला था। राखी के माता-पिता का कहना है कि राखी को प्रयागराज आने के बाद संन्यास का मन जागृत हुआ। उन्होंने बताया कि राखी का सपना आईएएस बनने का है और वह पढ़ाई में भी काफी तेज है। राखी के परिवार ने यह भी बताया कि, “हमारी तरफ से कोई दबाव नहीं था। हमारी जो बच्ची के गुरु हैं, वह रिश्तेदारी के देवर हैं, इसलिए हमें तसल्ली है कि हमने अपनी बच्ची को किसी और के पास नहीं भेजा।” हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम के बाद जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि को सात साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है और मामले की जांच जारी है।