खिड़की का कांच तोड़ कूदीं, पैर में फ्रैक्चर हुआ जान बचाने के लिए दौड़ती रहीं
जयपुर,संवाददाता : सुबह की किरण के साथ जो उम्मीदें थीं, एक खौफनाक हादसे ने उन्हें पल भर में चुराकर डॉ. जसमीन खान की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। भांकरोटा अग्निकांड ने उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान लाया, जिसे वे कभी नहीं भूल सकतीं। बस के अंदर धुएं की चादर और आग की लपटों के बीच, डॉ. जसमीन ने मौत को अपनी आंखों के सामने आते देखा, लेकिन किस्मत ने उन्हें एक और जीवन का अवसर दिया। हादसे में डॉ. जसमीन की दोनों हथेलियां, सिर के बाल जल गए और उनका एक पैर भी फ्रैक्चर हो गया। वर्तमान में वे सवाई मानसिंह अस्पताल के साउथ विंग 3 वार्ड में भर्ती हैं। डॉ. जसमीन ने पत्रिका को बताया कि वह पिछले एक साल से वैशालीनगर के आयुर्वेदिक अस्पताल में बतौर यूनानी चिकित्सक कार्यरत थीं और इससे पहले, राजसमंद में संविदा पर काम कर चुकी थीं। हादसे की रात, वह स्लीपर बस से राजसमंद से जयपुर के लिए रवाना हुई थीं। सुबह जब बस ठिकरिया टोल टैक्स पर पहुंची, तो उनकी आंख खुली। उन्होंने मोबाइल फोन में समय देखा और फिर से सो गईं।
कुछ ही देर में उनकी नींद खुली और देखा कि बस में धुंआ भर चुका था और लोग चीख रहे थे। सभी बस का गेट खोलने के लिए आवाजें लगा रहे थे। इस देख, डॉ. जसमीन ने खिड़की का कांच तोड़ा और बाहर कूद पड़ीं, जिससे उनका पैर फ्रैक्चर हो गया। फिर उन्होंने दो अन्य यात्रियों की मदद से जैसे-तैसे भागते-भागते समीप के खेत में शरण ली। वहां से करीब एक किलोमीटर पैदल चलने के बाद एक कार चालक मिला, जिसने उन्हें निजी अस्पताल पहुंचाया, जहां से उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद एसएमएस अस्पताल भेजा गया। घायल डॉ. जसमीन सर्जरी विभाग के साउथ विंग 3 में भर्ती हैं, लेकिन परिजनों का कहना है कि उनकी खैर-खबर लेने के लिए कोई मंत्री या नेता उनसे मिलने नहीं आया। डॉ. जसमीन ने बताया कि बस से कूदते वक्त उनका मोबाइल फोन, सर्दी के कपड़े और अन्य सामान पीछे छूट गया। उन्होंने बस को जलते हुए अपनी आंखों के सामने देखा। एसएमएस अस्पताल में आने के बाद, एक स्टाफ से फोन मांगकर उन्होंने अपने पिता से संपर्क किया। यह हादसा ना केवल डॉ. जसमीन के लिए एक भयावह अनुभव था, बल्कि यह उनके जीवन को एक नया मोड़ देने वाला भी था।